BY-THE FIRE TEAM
भारत की ओर से नवजोत सिंह सिद्धू, केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर और हरदीप सिंह पुरी पाकिस्तान के करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब को,
भारत के गुरदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ने वाले गलियारे (कॉरिडोर) की आधारशिला रखने पाकिस्तान गए हैं.
इस कॉरिडोर की आधारशिला रखने से ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि अब दोनो देश आपसी रिश्तों को सुधारना चाहते हैं यद्यपि कि कोई राजनीति बीच में न आये.
ये गलियारा इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि पिछले 20 सालों से सिर्फ टाला जा रहा है. लेकिन पहली बार इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान की तरफ से सकारात्मक जवाब मिला.
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हर बार यह आतंकी गतिविधियों की वजह से रूक जाता है. आइये आपको बताते हैं कि आखिर भारत में बसे सिख समुदायों के लिए पाकिस्तान के पंजाब प्रांत, करतारपुर का ये गुरुद्वारा दरबार साहिब इतना खास क्यों है ?
1. सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी करतारपुर के इसी गुरुद्वारा दरबार साहिब के स्थान पर एक आश्रम में रहा करते थे.
2. करतारपुर के गुरुद्वारा दरबार साहिब स्थान पर गुरु नानक जी ने 16 सालों तक अपना जीवन व्यतीत किया.
बाद में इसी गुरुद्वारे की जगह पर गुरु नानक देव जी ने अपना देह छोड़ा था, जिसके बाद गुरुद्वारा दरबार साहिब बनवाया गया.
3. मान्यता है कि जब नानक जी ने अपनी आखिरी सांस ली तो उनका शरीर अपने आप गायब हो गया और उस जगह कुछ फूल रह गए.
4. इन फूलों में से आधे फूल भारतीय सिख (अब) ने अपने पास रखे और उन्होंने हिंदू रीति रिवाजों से इन्हीं से गुरु नानक जी का अंतिम संस्कार किया और करतारपुर के गुरुद्वारा दरबार साहिब में नानक जी की समाधि बनाई.
5. वहीं, आधे फूलों को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत (अब) के मुस्लिम भक्त अपने साथ ले गए और उन्होंने गुरुद्वारा दरबार साहिब के बाहर आंगन में मुस्लिम रीति रिवाज के मुताबिक कब्र बनाई.
6. माना जाता है गुरु नानक जी ने इसी स्थान पर अपनी रचनाओं और उपदेशों को पन्नों पर लिख अगले गुरु यानी अपने शिष्य भाई लहना के हाथों सौंप दिया था.
यही शिष्य बाद में गुरु अंगद देव नाम से जाने गए. इन्हीं पन्नों पर सभी गुरुओं की रचनाएं जुड़ती गई और दस गुरुओं के बाद इन्हीं पन्नों को गुरु ग्रन्थ साहिब नाम दिया गया, जिसे सिख धर्म का प्रमुख धर्मग्रंथ माना गया.
7. करतारपुर स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब पाकिस्तान में रावी नदी के पार स्थित है जो भारत के डेरा बाबा नानक से करीब चार किलोमीटर दूरी है.
आज भी सिख भक्त अपने पहले गुरु के इस गुरुद्वारे को डेरा बाबा नानक से दूरबीन की सहायता से देखते हैं. दूरबीन से गुरुद्वारा दरबार साहिब को देखने का काम CRPF की निगरानी में होता है.
8. अगर यह गलियारा या कॉरिडोर बन जाता है तो भारतीय सिख गुरुद्वारा दरबार साहिब को बिना वीज़ा के देख सकते हैं.
क्योंकि अभी तक करतारपुर स्थित इस गुरुद्वारे को देखने के लिए श्रद्धालुओं को वीज़ा की जरुरत पड़ती है.