BY-THE FIRE TEAM
वैश्विक स्तर पर भारत ने एक बड़ी पहल करते हुए संयक्त राष्ट्र में सुधार करने का प्रस्ताव विभिन्न देशों के समक्ष रखा है। भारत ने 193 सदस्यीय
संयुक्त राष्ट्र महासभा को पुनर्गठित करने की दिशा में सामूहिक अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के लिये आह्वान किया है। उसने कहा कि- ‘वैश्विक संसद की निकटतम संस्था’ को वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने के लिये बहुपक्षीय प्रयासों का नेतृत्व करना चाहिये।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि के नागराज नायडू ने जोर देकर कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार संयुक्त राष्ट्र को पुनर्गठित करने की समूची प्रक्रिया का प्रमुख हिस्सा है
और महासभा से बेहतर कोई मंच नहीं है जहां यह प्रक्रिया सर्वाधिक लोकतांत्रिक और प्रतिनिधिक तरीके से आगे बढ़ाई जा सकती है।
नायडू ने सोमवार को कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र की 75 वीं सालगिरह में अब दो साल से भी कम समय बचा है। हमें पुनगर्ठित महासभा के लिये अपनी सामूहिक तलाश में इस महत्वपूर्ण मील के पत्थर का फायदा उठाना चाहिए,
जो वैश्विक चुनौतियों को सुलझाने में सक्षम हो, जो लोगों की आकांक्षाओं को आकार दे और पूरी दुनिया में लोगों के जीवन में बदलाव लाए।’’
‘बहुपक्षीय नियम आधारित व्यवस्था को मजबूत करने के पक्ष में संयुक्त राष्ट्र को पुनर्गठित करने’ पर महासभा के पूर्व अध्यक्षों के साथ अनौपचारिक बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि-
महासभा में अच्छी खासी संख्या में पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील देश शामिल हैं। यह पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई करने के प्रयासों को तेज करने के लिये अद्वितीय स्थिति में है।
संयुक्त राष्ट्र का मुख्य विचारक, नीति निर्धारक और प्रतिनिधिक अंग होने के कारण महासभा को “वैश्विक संसद का निकटतम संस्थान” बताते हुए नायडू ने कहा कि-
कोई भी अन्य वैश्विक संस्था इसके प्रतिनिधि चरित्र और विश्वसनीयता से मेल नहीं खाती है।
उन्होंने कहा कि कई घटनाक्रमों के कारण बहुपक्षवाद को नुकसान पहुंच रहा है। नायडू ने कहा कि सीमाओं और क्षेत्रों से परे वैश्विक चुनौतियों से पृथकता में नहीं निपटा जा सकता
और महासभा को निर्णय लेने में इसकी व्यापक संभव भागीदारी और मिल्कियत के साथ बहुपक्षीय प्रयास का नेतृत्व करना चाहिए। ।