भारत-नेपाल संबंधों के बीच उपजे तनाव को कम कर सकता है गोरखपुर का गोरक्षपीठ मंदिर

भारत-नेपाल के बीच दोस्ताना संबंध सदियों पुराना है और दोनों ने विश्वसनीय पड़ोसी की भूमिका को बखूबी निभाया है. तथा दोनों देशों के नागरिकों के मध्य वैवाहिक संबंधों के स्थापित होने से

इनकी सीमापार आवाजाही सदैव चलती रहती है. आज भी नेपाली लोगों की बड़ी जनसंख्या भारत में निवास करती है और भारत के लोगों का भी व्यवसाय नेपाल में खूब चलता है. किन्तु विगत दिनों में नेपाल की संसद द्वारा भारतीय क्षेत्र के कालापानी, लिपुलेख तथा लिम्पियाधुरा को जिस तरह से अपने नक़्शे में दिखाया है उसके कारण इनके बीच तनाव उभरकर सामने आ गया है.

इन मधुर संबंधों को कैसे फिर से पुख्ता करके विश्वास बहाली किया जाये इस विषय में नाथ सम्प्रदाय को शोध का विषय बनाने वाले प्रदीप का कहना है कि भारत के नाथ सम्प्रदाय के प्रति नेपाल का शाही परिवार बहुत सम्मान रखता है तथा बाबा गोरखनाथ को अपना राजगुरु मानता है.

Guru Gorakhnath HD Wallpaper Full Size Free Download यही वजह है कि उनके प्रतीक को नेपाल की मुद्रा से लेकर राजमुकुट तक पर स्थान दिया गया है. इसके अलावा गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी चढ़ाने की परम्परा है जिसे आज भी नेपाल के राजवंश से जुड़ा कोई न कोई व्यक्ति इस रस्म को जरूर निभाता है.

यदि इस सम्प्रदाय के गुरुओं की श्रेणी को देखा जाये तो बाबा मत्षेन्द्र नाथ जो गोरखनाथ के गुरु थे उनकी स्मृति में आज भी उत्सव मनाया जाता है.

इन पहलुओं के धरातल पर कहा जा सकता है कि यदि दोनों देश अपनी साझी विरासत को ध्यान देकर द्विपक्षीय संबंधों का विश्लेषण करेंगे तो तनाव के ये मसले आसानी से सुलझाए जा सकते हैं.

 

 

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