BY-THE FIRE TEAM
वैश्विक परिदृश्य में दुनिया के दो देशों के बीच यूरेनियम संवर्धन को लेकर जैसी बयानबाजियाँ की जा रही हैं वह विश्वयुद्ध के समय छिड़ा शीतयुद्ध की याद दिलाता है.
आपको बता दें कि ईरान लगातार यूरेनियम संवर्धन से जुड़ी संधियों जेसीपीओए संधि (2015 में हुए परमाणु समझौते ) की अवहेलना करता जा रहा है. इसी परिपेक्ष्य में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी को कड़े लहज़े में चेताया है.
Iran has just issued a New Warning. Rouhani says that they will Enrich Uranium to “any amount we want” if there is no new Nuclear Deal. Be careful with the threats, Iran. They can come back to bite you like nobody has been bitten before!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) July 3, 2019
दरअसल, ईरानी राष्ट्रपति हसन रूहानी जेसीपीओए संधि के तहत की गई शर्तों में तब्दीली चाहते हैं और इसी आधार पर वह परमाणु संवर्धन के लिए ढील के इच्छुक हैं.
https://twitter.com/Doranimated/status/1146386874019340288
ताकि अपनी जरूरत के मुताबिक ईरान को संवर्धन का अधिकार मिले और वह अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सके. चूँकि ईरान ने अपने 300 किलोग्राम के यूरेनियम संवर्धन की सीमा को पार कर लिया है जिसकी पुष्टि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने भी किया है, यही वजह है कि ईरान को निशाना बनाया रहा है.
2015 में हुई संधि के तहत ईरान ने पाँच देशों-अमेरिका, रूस, चीन, फ़्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी के के साथ समझौता किया था कि यदि उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटा लिया जाए तो वह अपने परमाणु कार्यक्रमों को सीमित कर लेगा, हालाँकि अब ईरान खुद इसका पालन नहीं कर रहा है.