भारत-पाक सीमा पर बन रही है लंबी सुरंगें, विस्फोट का भी नहीं होगा कोई असर


BY-THE FIRE TEAM


प्राप्त सुचना के अनुसार भारत-पाकिस्तान की सीमा से महज 40 किमी की दूरी पर करीब 90 किलोमीटर लंबी सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है.

भारतीय रेलवे द्वारा ये सुरंग जम्मू-कश्मीर के कटरा से बनिहाल के बीच बनाई जा रही हैं. इन सुरंगों को बनाने के लिए ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है,

जिससे पाकिस्तान द्वारा मोर्टार से किए गए हमलों और बड़े से बड़े विस्फोटों को निष्क्रिय किया जा सके. भारतीय रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, अब तक करीब 60 किमी के क्षेत्र में सुरंगों का निर्माण पूरा कर लिया गया है.

अगले 6 से 8 महीनों में बाकी बचे 51 किमी के क्षेत्र में सुरंगों का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा. भारतीय रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, कटरा से बनिहाल के बीच करीब 111 किलोमीटर लंबा ट्रैक बिछाया जा रहा है.

चूंकि यह पूरा इलाका हिमालय की पहाड़ियों से घिरा हुआ है, लिहाजा रेलवे ने पहाड़ों को काट कर करीब 90 किमी लंबी सुरंगों का निर्माण कर रही है.

अब तक करीब 60 किमी लंबी सुरंगों को बनाने का काम पूरा कर लिया गया है. बाकी बची 52 किमी लंबी सुरंगों के लिए पहाड़ को काटने का काम पूरा कर लिया गया है.

जल्द ही, कंकरीट से जुड़ा कार्य पूरा कर इन सुरंगों का निर्माण कार्य भी पूरा कर लिया जाएगा.

दो पहाड़ियों को जोड़ने के लिए बनाए गए हैं स्टील के पुल:

भारतीय रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह पूरा इलाका पहाड़ों से घिरा हुआ है. दो पहाड़ों के बीच में काफी दूरी है. इस दूरी को पाटने के लिए हर सुरंग के बाद स्टील के विशालकाय ब्रिज तैयार किए गए हैं.

चूंकि यह कॉरीडोर भारत-पाक की सीमा से कुछ किलोमीटर की दूरी पर है, लिहाजा, सुरंग और ब्रिज को बनाने के लिए खास तकनीक के साथ विशेष मैटेरियल का इस्तेमाल किया गया है.

जिससे किसी प्रकार के आतंकी हमले और विस्फोट का ब्रिज और सुंरगों पर कोई असर न पड़े. इन सुरंगों में आपात स्थिति से निपटने के लिए भी व्यापक इंतजाम किए गए हैं.

तेज तूफान को भी झेलने में सक्षम हैं सुरंगों को जोड़ने वाले ब्रिज :

भारतीय रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, दो पहाड़ियों के बीच सामान्य से हवा का दबाब बहुत अधिक होता है. लिहाजा, दो पहाड़ियों को जोड़ने के लिए बनाए गए ब्रिज को खास तकनीक से तैयार किया गया है.

ये सभी ब्रिज 272 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आने वाले तूफान को झेलने की क्षमता रखता है. इन ब्रिज में आठ रिएक्टज स्केल तक के भूकंप का भी कोई असर नहीं होगा.

साथ ही, भारतीय रेल इस कॉरीडोर के ट्रैक पर अपनी अधिकतम रफ्तार पर ट्रेनों का परिचालन कर सकेंगी.

(By-Dailyhunt)

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