BY-THE FIRE TEAM
मिली जानकारी के अनुसार पाकिस्तान ने भारतीय सिक्ख तीर्थयात्रियों के लिए पाँच सौ साल पुराने गुरूद्वारे को खोलकर भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को सहज बनाने का प्रयास किया है.
यह गुरुद्वारा पंजाब प्रान्त के सियालकोट में स्थित है, बाबे दी बेर गुरुद्वारा के रूप में चर्चित यह एक ऐतिहासिक गुरुद्वारा है जिसके विषय में यह बताया जाता है कि सिक्ख धर्म के संस्थापक
गुरु नानक देव जब सोलहवीं सदी में कश्मीर से सियालकोट पहुँचे थे तो इसी बेरी के वृक्ष के नीचे रुके थे. इसके पश्चात सरदार नत्था सिंह ने उनकी याद में इस गुरुद्वारे का निर्माण कराया था.
इस संबंध में ट्रिब्यून एक्सप्रेस ने लिखा है कि कुछ आंतरिक सुरक्षा की वजह से इस गुरूद्वारे तक लोगों के जाने पर रोक थी. किन्तु अब भारत ही नहीं दुनिया के अन्य देशों से भी सिक्ख तीर्थयात्रियों का हुजूम यहाँ आता है.
पंजाब प्रान्त के गवर्नर मुहम्मद सरवर ने औकाफ विभाग को निर्देश दिया है कि भारत से आने वाले सिक्ख तीर्थयात्रियों को इस गुरूद्वारे तक आने की इजाजत दी जाये.
आपको बता दें कि अभी कुछ महीनों पहले पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब कॉरिडोर बनाने की बात भी कही थी और भारत की तरफ से नवजोत सिद्धू पाकिस्तान गए थे.
इस गुरूद्वारे की नींव को भी दोनों देशों के बीच सकारात्मक रिश्तों की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है.