अरविंद कुमार सिंह (सामाजिक एवं ट्रेड यूनियन ऐक्टिविस्ट)
आज गोरक्ष पीठ के पूर्व पीठाधीश्वर, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक, आध्यात्मिक और धार्मिक आंदोलनों के प्रणेता ब्रम्हलीन योगी अवैध नाथ जी की पुण्यतिथि है.
इस मौके पर मै अपने शुभचिंतकों, मित्रों और नागरिक समाज की ओर से उनके श्री चरणों में अपने श्रद्धासुमन अर्पित करता हूं.
योगी अवैध नाथ जी दिव्य और अलौकिक शक्तियों से अभिसिंचित व्यक्तित्व के मालिक थे. उनसे मिलने वाला व्यक्ति उनकी आभा से अभिभूत हो कर अपने आप को भूल जाता था. वास्तव में ऐसे महापुरुष ईश्वर की विशेष कृपा का प्रसाद होते हैं.
बता दें कि सन् 1940 में तत्कालीन पीठाधीश्वर और बड़े महंत द्विगविजय नाथ जी के सम्पर्क में आने के बाद अवैध नाथ जी को फरवरी 1942 में इस पीठ का उत्तराधिकारी घोषित किया गया.
पीठ का उत्तराधिकारी रहते हुए इन्होंने अपने आप को आध्यात्मिक और धार्मिक ज्ञान से पूरी तरह से लैस किया. आगे चलकर इस प्रभाव पूरे भारत ने देखा और महसूस किया.
धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आंदोलनों से मिली प्रसिद्धि और ताकत का इस्तेमाल कर के उन्होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना वर्चस्व कायम किया.
स्थापित राजनीतिक ताकतों से टकरा कर अपनी पहचान बनाना असाधारण क्षमता वाले व्यक्ति ही करते हैं, योगी अवैध नाथ जी इसके सबसे सटीक उदाहरण थे.
आपातकाल के विरोध में गोरक्षनाथ मंदिर संघर्ष का एक महत्वपूर्ण ठौर था. जे पी आंदोलन के तमाम आंदोलनकारियों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने और संरक्षण देने का काम योगी अवैध नाथ जी करते थे.
एक बार कर्पूरी ठाकुर को जयप्रकाश नारायण से मिलने के लिए नेपाल जाना था तो महंत जी ने उन्हें नेपाल जाने का पूरा इंतजाम किया था.
वे गोरखपुर से सोनौली पहुंच कर भैरहवा होते हुए लोकनायक जयप्रकाश तक पहुंच गए. उस दौर में यह काम मजबूत कलेजे वाल व्यक्ति ही कर सकता था.
योगी अवैध नाथ जी ने अपने इस काम से साबित किया कि वे एक दृढ इच्छाशक्ति वाले व्यक्ति हैं , आवश्यकता पड़ने पर वे साधू की जगह पर एक आंदोलनकारी के रूप में जनता के सामने नजर आते थे.
वर्तमान पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ जी जब इस पीठ के उत्तराधिकारी बने और मंदिर प्रशासन देखने लगे तो मंदिर के कुछ लोगों ने उन्हें बताया कि
कुछ बाहरी लोग (विशेष सम्प्रदाय) मंदिर के भंडारे में भोजन ग्रहण करने के बाद श्रद्धालुओं के जूतों और चप्पलें पहन कर चले जाते हैं.
इससे मंदिर की बदनामी होती है, तब योगी आदित्यनाथ जी ने कुछ मुस्लिम लड़कों को जो भंडारे में भोजन करने आए थे, उन्हें डांट कर भगा दिया.
जब यह बात योगी अवैध नाथ जी को पता चली तो उन्होंने छोटे महन्त को समझाया कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए. हमारे भंडारे में आने वाला हर व्यक्ति चाहे वह किसी भी जाति,
धर्म और सम्प्रदाय का हो, हमारा अतिथि है, उन्हें बुलाकर भोजन कराओ. यह बात बताती है कि अवैध नाथ जी कितने मानवीय और संवेदनशील व्यक्ति थे.
उन्होंने मानीराम विधानसभा और गोरखपुर लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर अपनी राजनैतिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करके बताया कि वो जनता के हितों के सजग प्रहरी भी थे.
राम जन्मभूमि भूमि आंदोलन के वो नायक रहे, जबसे इस आंदोलन की कमान गोरक्ष पीठ ने अपने हाथ में लिया, तब से दीपक की तरह टिमटिमाता हुआ यह आंदोलन एक मशाल बन गया.
आज उसका परिणाम भव्य राम मंदिर निर्माण के रूप में दुनिया के सामने है. राम जन्मभूमि आंदोलन द्वारा अर्जित सफलता गोरक्ष पीठ के महत्व और शक्ति को रेखांकित करती है.
यह प्रतिष्ठा, सम्मान और आदर एक दो दिन के संघर्ष और तपस्या का परिणाम नहीं है. इसके पीछे नाथ सम्प्रदाय के गुरुओं और तपस्वियों की कठिन तपस्या तथा हठ योग का जीवन खपा देने वाला संघर्ष है.
भारत में गोरक्ष पीठ ही एक मात्र पीठ है जो चुनौतियां स्वीकार करता है और उसपर विजय भी प्राप्त करता है, इसीलिए तो यह जन आस्था का एक बड़ा केंद्र बना हुआ है.
पुरूषार्थ के प्रतीक रहे योगी द्विगविजय नाथ ने गोरक्ष पीठ के आधार भूत संरचना की जो आधारशिला रखी, उसे इनके यशश्वी शिष्य योगी अवैध नाथ जी ने
जमीं पर उतारा तथा वर्तमान पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ जी ने विश्वव्यापी आधार प्रदान किया. पीठाधीश्वरों की ऐसी शानदार परंपरा पूरे भारत के किसी भी पीठ में देखने को नहीं मिलेगी.
इसीलिए तो गोरक्ष पीठ अद्भुत, अलौकिक और अतुल्य है तथा गोरक्षनाथ हमारे रग-रग और सांसों में विराजमान हैं.
{यह लेखक के अपने निजी विचार हैं. इससे AGAZ BHARAT का कोई सरोकार नहीं है.}