- भूमिहीनों को जमीन दिलाने के लिए आन्दोलन का यह दूसरा चरण है. पहले चरण में 17 दिसम्बर, 2022 को
- गोरखपुर (उ0प्र0) में अम्बेडकर जन मोर्चा ने बड़ी रैली में किया था जिसमें लाखों की संख्या में जनता जुटी थी
- सरकार को जमीन देना ही पड़ेगा, दलितों, पिछड़ों भूमिहीनों का यह संवैधानिक अधिकार है
गोरखपुर: अम्बेडकर जन मोर्चा के मुख्य संयोजक श्रवण कुमार निराला ने गोरखपुर कमिश्नर कार्यालय के समक्ष आयोजित विशाल धरना प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए कहा कि
“भारत का ही एक राज्य तेलंगाना है जिसकी सरकार ने पिछले दो सालों में वहां के भूमिहीनों को तीन-तीन एकड़ जमीन दिया है, जब तेलंगाना सरकार दे सकती है तो उ0प्र0 सरकार क्यों नहीं देगी.?
उ0प्र0 सरकार के मुख्यमंत्री जी दलितों के घर खिचड़ी खाने का राजनैतिक ड्रामा करते हैं, पर दलितों को वास्तविक अधिकार नहीं देना चाहते हैं.
इस दोहरे चरित्र को दलित समाज समझ रहा है. मुख्यमंत्री जी आपके खिचड़ी खाने से दलित समाज का उत्थान कितना हुआ, आप स्वयं बताईये?
हम भिखारी नहीं हैं, आप पाँच किलो राशन देकर हमारे ऊपर कृपा करने का ढोंग बन्द करिये. भारत के प्रधानमंत्री बनारस में सफाईकर्मियों का पैर धुलते है,
यह मक्कारी और बेशर्मी वाला ड्रामा है. प्रधानमंत्री जी बताईये आपके पैर धुलने वाले ड्रामा से कितने दलितों के बच्चे, ड्राक्टर, इंजिनियर या जमीन के मालिक बने?
75 सालों से कोई भी सरकार आई दलितों, पिछड़ों को सिर्फ मुर्ख बनाया है. अब हम मानेगें नहीं, यह लड़ाई आर-पार की होगी हम जमीन लेकर ही मानेेंगे.
सभा को सम्बोधित करते हुए अम्बेडकर जन मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष सीमा गौतम ने कहा कि भूमि का सवाल दलित आन्दोलन का अनिवार्य हिस्सा है.
जमीन के महत्व को हमारे बाबा साहब डॉ0 बी0आर0 अम्बेडकर और मान्यवर कांशीराम जी समेत महात्मा फूले, छत्रपति शाहुजी महाराज और पेरियार ने भी इस पर अपनी राय रखी है.
मान्यवर कांशीराम जी अपने अधिकतर भाषणों में दलितों, पिछड़ों को जमीन दिलाने की बात करते थे.
अम्बेडकर जन मोर्चा समय-समय पर दलितों, पिछड़ों के हकों कि आवाज उठाता रहा है,
पिछले दिनों मोर्चा ने दलित, पिछड़े, छात्रों की छात्रवृत्ति व शुल्क प्रति पूर्ति के लिए भी बड़ी रैली करके छात्रों के हित में आन्दोलन किया था.
तब भी हमने सरकार को झुकने के लिए मजबूर किया. आगे हम अपना अधिकार संघर्ष करके ही लेेंगे, यह हमारा संकल्प है.
सभा को सम्बोधित करते हुए अम्बेडकर जन मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एडवोकेट बृजेश्वर निषाद ने कहा कि जमीन हमारे अस्तित्व का आधार है, जमीन हमारे पास होगा तो हमें स्थाई रोजगार मिलेगा.
हमारा स्वाभिमान बचेगा, हमारी बहन, बेटियाँ, दुसरे के खेतों में काम करने के लिए मजबूर नहीं होंगी. हमारी घरों की महिलाओं के आबरू के साथ कोई खेल नहीं पाएगा.
भारत देश में जमीन के मामले में आज भी भारी असमानता है. किसी के पास सौ-दो सौ एकड़ तो किसी के पास हजारों एकड़ जमीन है.
राजा-रजवाड़े स्टेट बने हैं जबकि देश में आज भी दलित, पिछड़ा समाज अधिकतर एक दो डिस्मील जमीन के लिए तरस रहा है, हम इस असमानता के खिलाफ हैं.
जमीन हमको मिलनी चाहिये यह हमारा हक है. मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष ऋषि कपूर आनन्द ने कहा कि यह सच्चाई है कि जहां आज भी पुराने
जमीदारों एवं कार्पोरेट घरानों के पास हजारों एकड़ जमीन है, वहीं पर लगभग 57 प्रतिशत दलित परिवार भूमिहीन हैं.
उनके पास ना घर बनाने की जमीन है, ना खेती करने की जमीन है. अगर दलित, पिछड़े गरिब लोग दूसरो के जमीन से होकर
पैदल भी जाते हैं तो कई जगहों पर गाली सुनना पड़ता है. यह अपमान हम कब तक सहेंगे? अब नहीं सहेंगे, हमको हमारा हक जमीन चाहिए.