गोरखपुर: ‘दिशा छात्र संगठन’ की तरफ से स्वतन्त्र जनपक्षधर पत्रकारिता पर फ़ासीवादी हमले के खिलाफ गोरखपुर विश्वविद्यालय के मेन गेट के सामने विरोध प्रदर्शन किया गया.
संगठन से जुड़ी अंजली ने कहा कि सरकार की पालतू एजेंसियों द्वारा झूठ परोसने, दंगे भड़काने और सरकार के झूठे गुणगान में लगे गोदी मीडिया पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है.
जबकि सरकार की नीतियों पर उँगली उठाने वाले जनपक्षधर मीडिया समूहों और स्वतन्त्र पत्रकारों को तुरन्त निशाने पर ले लिया जाता है. मोदीशाही में शिक्षा, चिकित्सा और रोज़गार पर बात करना गुनाह हो गया है.
समाचार समूह न्यूज़क्लिक के दफ़्तरों और इससे जुड़े पत्रकारों के घरों पर दिल्ली पुलिस की छापेमारी चल रही है. इस दौरान उर्मिलेश, अभिसार शर्मा,
भाषा सिंह, प्रबीर पुरकायस्थ, शंजय रजौरा, अन्निद्यो चक्रवर्ती और परंजय गुहा ठाकुर्ता आदि के घर 3 अक्टूबर की सुबह से ही दिल्ली पुलिस डेरा डाले हुए है.
सरकार हरेक विरोधी आवाज़ को दबा देना चाहती है. अदानी समूह द्वारा एनडीटीवी की “ख़रीद” इसी का उदाहरण है.
न्यूज़ लाण्ड्री, द वायर, बीबीसी आदि को भी कई दफ़ा निशाने पर इसीलिए लिया गया था क्योंकि इन्होंने सरकारी एजेण्डे पर चलने से इनकार कर दिया था,
और कई विशिष्ट मामलों में जनता तक सच पहुँचाने की हिमाक़त की थी. भारत में प्रेस स्वतन्त्रता की स्थिति लगातार बद से बदतर होती जा रही है.
प्रेस स्वतन्त्रता के मामले में भारत 2023 में 180 देशों की सूची में 161वें स्थान पर पहुँच था जबकि 2014 में यह 140वें स्थान पर था.
हालाँकि प्रेस स्वतन्त्रता पर सर्वे करने वाली एजेंसी खुद अमेरिकी साम्राज्यवादी धड़े के इशारों पर नाचती है किन्तु इसकी रिपोर्ट में आंशिक सच्चाई तो है ही जिन्हें हालात सत्यापित करते हैं.
पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या, सिद्दीक कप्पन को यूपी की जेल में बन्द रखना, मिड डे मील में रोटी-नमक परोसने की रिपोर्टिंग पर पत्रकार पवन जायसवाल को जेल आदि
जैसे कितने ही मामलों के हम साक्षी बने जब पत्रकारों को सच्चाई बताने की क़ीमत के तौर पर अपनी आज़ादी और जान तक गँवानी पड़ी.
ऐसे हालात में सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या न्यूज़ क्लिक पर दिल्ली पुलिस की यह रेड सरकार विरोधी पत्रकारों को चुप कराने के लिए की गयी है?
दिशा छात्र संगठन न्यूज़ क्लिक पर सरकारी हमले का विरोध करता है. हम सरकार के दमनकारी रवैये के ख़िलाफ़ उठ खड़े होने के लिए
छात्रों-युवाओं और प्रबुद्ध जनों का आह्वान करते हैं. इस विरोध प्रदर्शन में माया, मुकेश, राजू, गुलाब, भरत, रिया, दीपक आदि शामिल हुए.