Gorakhpur: मनुष्यता के रक्षक, समाजसेवी, पर्यावरणविद् डॉ संपूर्णानंद मल्ल जो ‘पूर्वांचल के गांधी’ कहे जाते हैं, ने निजी गाड़ियों पर लगने वाले टोल टैक्स पर करारा प्रहार करते हुए कहा है कि
“निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स के मनमाने आदेश का पतन चाहता हूं क्योंकि यह ‘समानता’ एवं ‘स्वतंत्रता’ के मौलिक अधिकार की हत्या है.”
इन्होंने महामहिम राष्ट्रपति महोदया को ज्ञापन बेटे हुए चेतावनी दिया है कि 25 नवंबर तक यदि सरकार ने निजी गाड़ियों पर टोल वापस नहीं लिया तो
26 नवंबर संविधान दिवस के दिन को तेंदुआ टोल प्लाजा गोरखपुर पर निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स उसी प्रकार तोडूंगा जैसे गांधी ने नमक सत्याग्रह कर फिरंगियों का नमक कानून तोड़ा था.
यह एक मनमाना आदेश है क्योंकि जब सांसद, विधायक, मंत्री सहित 38 तरह के वीआईपी टोल टैक्स नहीं देते तब हमारी गाड़ियों पर टोल टैक्स क्यों?
यह तो समानता के मौलिक अधिकार (अनु 14-18 ) की हत्या है. पैसे के अभाव में किसी व्यक्ति के कहीं आने-जाने की स्वतंत्रता’ के अधिकार (अनु 19 b) छीनना है.
खाना, बोलना, चलना ‘एक प्राकृतिक अधिकार है जो मां से मिला है. मैं टोल टैक्स के हाथ अपनी आजादी नहीं गवां सकता.
सड़क के लिए जमीन हमने दिया, बनाने के लिए पैसा हमने दिया, सड़कों का निर्माण हमने किया फिर टैक्स? मंत्री को यह अधिकार कहां और किसने दिया है कि
हमारे कहीं आने-जाने का अधिकार हमसे छीन लें? हमारी निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स लगाया क्यों? 545, 243 सांसदों और 142 करोड़ लोगों में से किसने टोल टैक्स के रूप में लोगों की स्वतंत्रता छीनने का अधिकार दिया?
निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स सरकारी डकैती, गुंडई है क्योंकि टोल प्लाजा पर नियुक्त वर्दीधारी हमारी मनमर्जी के विपरीत हमसे टोल टैक्स लेते हैं.
क्या यही डेमोक्रेसी, इक्वलिटी, फ्रीडम एवं कॉन्स्टिट्यूशन है.? यदि है तो इसे तोड़ना हमारा संवैधानिक कर्तव्य’ एवं धर्म’ है.
यदि अंग्रेजों ने पथरकर लगाया होता तो 1857 की क्रांति करने में एक बड़ी बाधा होती. बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के आनंद मठ उपन्यास का यथार्थ विषय वस्तु
जिसमें ‘सन्यासी’ विद्रोह का उल्लेख है, रात्रि में गाड़ियों पर बैठकर एवं पैदल आंदोलनकारी अंग्रेजों पर हमले करते थे. 1857 के क्रांति में मेरठ के क्रांतिकारी दिल्ली में प्रवेश न कर पाते यदि यमुना पर टैक्स होता.
सांसद, विधायक, मंत्री, वीआईपी के गाड़ियों पर टोल टैक्स न लगना और लोगों की गाड़ियों पर टोल टैक्स आर्बिट्रेरी भारतेंदु हरिश्चंद्र के “अंधेर नगरी” का एक अच्छा प्रमाण है.