शाइस्ता को ‘शिकार’ की तरह खोजती यूपी पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रोफेसर ने उठाए सवाल?

कुछ दिनों पूर्व उमेश पाल हत्याकांड में वांछित चल रहे माफिया से राजनेता बने अतीक अहमद के पुत्र असद की पुलिस एनकाउंटर में हत्या तथा खुद भारी सुरक्षा पुलिस घेरे में

अतीक अहमद तथा उसके भाई अशरफ की खुलेआम हत्या ने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था की पोल खोल दी है. इसी क्रम में यूपी पुलिस तथा एसटीएफ अतीक की पत्नी

शाइस्ता को जगह जगह ढूंढ रही है किंतु अभी तक पा नहीं सकी है. ‘पूर्वांचल के गांधी’ कहे जाने वाले माननीय संवेदना से लबरेज डॉक्टर संपूर्णानंद मल्ल ने

ईद तथा परशुराम जयंती के दिन टाउन हॉल में स्थित गांधी प्रतिमा के नीचे अकेले बैठकर कई सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि पुलिस शाइस्ता जैसी महिला को

इस तरीके से खोज रही है जैसे उसने बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि एक नारी की अस्मिता को लूटा जा रहा है.

प्रदेश सरकार अगर कह रही है कि उसने प्रदेश में अपराध खत्म कर दिया है तो फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सुरक्षा तीन गुनी क्यों बढ़ा दी गई है.?

वास्तविकता यह है कि अपराध और अपराधियों को पसरने का मौका मिला है. यदि प्रदेश में सच में अपराध नहीं है तो मुख्यमंत्री बिना सिक्योरिटी के निकल करके दिखाएं.

शाइस्ता भारत की बेटी है यदि उसने अपराध किया है या उस पर अपराध जैसा कोई दोष है तो उसे न्यायपालिका दंडित करे.

पुलिस को कहीं से भी अधिकार नहीं है कि वह किसी अपराधी की हत्या को अंजाम दे. इन्होंने UPSTF की कार्यप्रणाली पर भी कई सवाल खड़े किए.

उन्होंने कहा है कि- आज एसटीएफ मुठभेड़ के नाम पर हत्या करने का पर्याय बन चुकी है. यूपी पुलिस और एसटीएफ को यदि और अधिक समय तक जीवित रखा गया तो यह मनुष्यता और संविधान के प्रतिकूल होगा.”

इन्होंने नगर आयुक्त गोरखपुर तथा माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद, मानव अधिकार ओनेरेबल डीजे, सीजीएम गोरखपुर सहित डीएम,

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एसपी सिटी मजिस्ट्रेट तथा थानाध्यक्ष शाहपुर को भी पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने बताया कि जंगली शिकार की तरह शाइस्ता की तलाश क्यों की जा रही है.?

कानून तथा न्याय का यह कौन सा तरीका है? अपराधी कौन है यूपी एसटीएफ या शाइस्ता?, यह न्यायालय तय करेगा ना कि यूपी एसटीएफ.

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने लिखा है कि झांसी की रानी और बेगम हजरत महल का पीछा करने वाले अंग्रेज भी

उनको छूने का साहस नहीं कर सके क्योंकि वे हिंद की नारी को जानते थे. शाइस्ता की तलाश असंवैधानिक तो है ही अमानवता की पराकाष्ठा भी है.

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