निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स स्वतंत्रता एवं समानता के मौलिक अधिकार की हत्या है: डॉ संपूर्णानंद मल्ल

  • सत्य, अहिंसा की जितनी जरूरत व्यक्तिगत जीवन में है उससे अधिक सार्वजनिक जीवन में

पूर्वांचल गांधी डॉक्टर संपूर्णानंद मल्ल ने निजी गाड़ियों पर लगने वाले टोल टैक्स के विरुद्ध आपत्ति जताते हुए तेंदुआ टोल प्लाजा जनपद गोरखपुर में

कड़े शब्दों में पूछा कि 142 करोड़ लोगों, 545 लोक सभा सांसदों, 243 राज्य सभा सांसदों से आखिर किसने निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स की मांग किया,

यदि किसी ने नहीं की तो इसे लगाया क्यों गया? किस माननीय सांसद ने यह विचार रखा कि वह अपनी गाड़ी पर टैक्स नहीं देगा और लोगों की गाड़ी पर टैक्स का कानून बनाएगा?

इन्होंने हुंकार भरते हुए कहा कि जमीन हमने दी, टैक्स हमने दिया सड़कें हमने बनाई, वोट देकर सांसद हमने बनाया फिर सदनों में पहुंचकर हमारी चमड़ी उधेड़ने का टैक्स क्यों लगाया?

कर्ज आदि लेकर बड़े मुश्किल में कोई व्यक्ति बीमार को लेकर इलाज कराने जाता है. जब टोल पर पहुंचता है तो उसे टोल टैक्स देना पड़ता है.

यह ऐसा नायाब तरीके का अपराध है जो कानून एवं सरकार की चादर ओढ़ कर किया जाता है. इस पूरे सिस्टम में “मनुष्यता” नहीं है.

संविधान की प्रत्येक शब्द एवं पंक्तियां “जीवन” की हिफाजत, स्वतंत्रता और समानता की रक्षा में लिखी गई हैं. सांसद, विधायक, मंत्री, प्रधानमंत्री सहित

तीन दर्जन से अधिक VIP की गाड़ियों पर टोल टैक्स नहीं लगता, फिर लोगों की गाड़ियों पर टोल टैक्स क्यों? खुले तौर पर यह समानता के मौलिक अधिकार

अनुच्छेद 14-18 की हत्या है. वहां VIP आधार पर टैक्स में छूट का कोई उल्लेख नहीं है. इन्होंने राष्ट्रपति महोदय से निवेदन किया है कि

निजी गाड़ियों पर लगने वाले और संवैधानिक तथा जबरदस्ती टोल टैक्स को समाप्त किया जाए अथवा प्रत्येक टोल प्लाजा पर दोनों तरफ एक-एक टोल लेन फ्री कर दें

ताकि जिनके पास पैसे न हो वह पैसे के अभाव में कहीं आने-जाने के मौलिक अधिकार से वंचित न हो. निजी गाड़ी रखने वालों में 80% ऐसे लोग हैं

जिन्होंने गाड़ी लोन पर या उधार पर लिया है, ऐसे लोग कहीं आने-जाने पर तेल भरवाने में ही तबाह हैं.  फिर मार्गों पर लूट के अड्डे और उन अड्डों पर खड़े गुंडे निजी गाड़ी वालों को लूट लेते हैं.

हमें स्वतंत्रता में सांस लेने दीजिए, खाना, बोलना, चलना मां से हासिल ऐसा अधिकार है जिसे छीनने  का अधिकार किसी को नहीं. 

यह कैसी स्वतंत्रता है? जिसमें हमारे ऊपर बंदिश ही बंदिश है. डॉ मल्ल ने आगे बताया कि कई दर्जन पत्र एवं ज्ञापनों में बार-बार निवेदन किया कि निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स समाप्त करें.

परंतु आपके नाम काम करने वाली सरकार मेरे निवेदन को खारिज कर रही है. पुनः निवेदन करता हूं ऐसे असंवैधानिक “मनमानी” टोल आदेश को मैं उसी प्रकार तोडूंगा जैसे गांधी ने फिरंगियों के नमक कानून को तोड़ा था.

 

 

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