अमन हॉस्पिटल: अस्पताल की लापरवाही ने छीन लिया मां-बाप से उनका मासूम

  • अस्पताल माफिया लूट रहें है लोगों की जान और माल
  • हर रोज़ कोई नया अबुजर इन अस्पताल माफियाओं का बन रहा शिकार

(मनव्वर रिज़वी)

गोरखपुर: उस बाप के दिल से पूछिए कि उस पर क्या बीती जब उसके मासूम ने उसके हाथों पर दम तोड़ दिया? वह बाप जो आंखों में अपने बच्चे के लिए तमाम सपने और उम्मीदें

सजाकर आया था लेकिन अब उसका हाथ खाली है क्योंकि अस्पताल की लापरवाही ने उसके सारे सपने चकनाचूर कर दिया.

गीडा थाना के पिपरौली गावँ के निवासी अबुजर अंसारी ने अपनी गर्भवती पत्नी को अमन हॉस्पिटल में एडमिट कराया जहाँ एक शिशु का जन्म हुआ.

लेकिन अस्पताल की लापरवाही से मासूम की मौत हो गई, अस्पताल में वो सुविधाएं थी ही नहीं जो एक मासूम के जन्म के बाद जरूरी होती हैं.

कहा जाता है कि डाक्टर भगवान का रूप है लेकिन धरती के इस भगवान की छवि को कुछ मुनाफाखोर दागदार करने में जुटे हैं.

शहर में तमाम ऐसी जगह हैं जहां किराए के मकान को लेकर चमक-दमक भरा अस्पताल का बोर्ड लगा देने और बोर्ड पर आधा दर्जन डॉक्टरों का नाम और अस्पताल से

जुड़ी आधुनिक सुविधाओं की उपलब्धता का प्रचार कम दामों में कर देने भर से मरीजों की भीड़ लग जाती है.

agazbharat

ऐसे अस्पतालों में ज़्यादातर ग्रामीण अंचलों से किफायती दर पर शहर में अच्छे इलाज का सपना लिए अपने मरीजों को लेकर आते हैं.

लेकिन जब ये अस्पताल के चक्रव्यूह में एक बार फंस जाते हैं तो उम्मीद से कई गुना ज्यादा धन खर्च कर देने के बाद भी ज़्यादातर इन्हें राहत नहीं मिलती. जब तक ये खर्च का गुणा गणित लगाते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

ऐसे मामले तभी प्रकाश में आते हैं जब मरीज़ की जान चली जाती है वो भी तब जब मरीज़ के परिजन हिम्मत जुटाकर विरोध करते हैं.

ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग को ऐसे अस्पतालों की खबर नहीं है. वहीं ऐसे मामलों में स्थानीय पुलिस के सहयोग से ज़्यादातर मरीजों के परिजनों को ही नुकसान उठाना पड़ता है

क्योंकि कहीं न कहीं अस्पताल के मुनाफे का कुछ हिस्सा इन्हें भी मिलना होता है. गोरखपुर में हर रोज़ एक नया अबुजर इन अस्पताल माफियाओं का शिकार बनता है.

किन्तु सब कुछ जानने के बाद भी कुकुरमुत्ते की तरह फैले इन अवैध और मानक के विपरीत चल रहे अस्पतालों पर यहां के ज़िम्मेदार मौन हैं और ये लुटेरे आसानी से लोगों की जान और माल लूट रहे हैं.

बहरहाल अबुजर अंसारी ने कैंट थाने को तहरीर दिया है लेकिन उनको न्याय मिलने की बात तो दूर इस बात का ठिकाना भी नहीं कि

उनकी तहरीर पर मुकदमा लिखा भी जाएगा या वो तहरीर किसी पुलिसकर्मी की डायरी से होते हुए किसी डस्टबीन का हिस्सा बन जाएगी.

Leave a Comment

Translate »
error: Content is protected !!