-इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है मुहर्रम, गुरुवार से लगेगी 1445 हिजरी
गोरखपुर: मौसम साफ न होने की वजह से माहे मुहर्रम का चांद मंगलवार को नहीं दिखा. आसपास के जिलों से भी चांद देखे जाने की कोई सूचना नहीं मिली है.
तंज़ीम उलमा-ए-अहले सुन्नत की चांद कमेटी के मुफ्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन मन्नानी ने ऐलान किया है कि माहे मुहर्रम का चांद मंगलवार को नहीं दिखा.
लिहाजा गुरुवार 20 जुलाई से माहे मुहर्रम का आगाज होगा. मुहर्रम की दसवीं तारीख़ (यौमे आशूरा) 29 जुलाई को पड़ेगी.
इस्लामी कैलेंडर यानी हिजरी वर्ष का पहला महीना मुहर्रम है. गुरुवार से 1445 हिजरी शुरू हो जाएगी. उलमा किराम ने सभी के लिए दुआ किया है कि
“नया इस्लामी साल सभी की ज़िंदगी में खैर व बरकत लाए. मुसलमानों से अपील है कि वे खूब अल्लाह की इबादत करें, रोज़ा रखें.
हज़रत सैयदना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व शोह-दाए-कर्बला की याद में कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी करें, खूब इसाले सवाब करते हुए नेक काम करें, अमनो अमान कायम रखें.”
बताते चलें कि मुहर्रम की पहली तारीख को मुसलमानों के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर रदियल्लाहु अन्हु की शहादत हुई थी.
मुहर्रम की दसवीं तारीख को यजीद नाम के एक जालिम बादशाह ने पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के
नवासे हज़रत सैयदना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व उनके साथियों को कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया था.
प्रमुख मस्जिदों व घरों में ‘जिक्रे शोह-दाए-कर्बला’ महफिल व मजलिस पहली मुहर्रम से शुरू होगी जिसका सिलसिला दसवीं मुहर्रम तक जारी रहेगा.
मियां बाज़ार स्थित इमामबाड़ा इस्टेट से 5, 9 व 10 मुहर्रम को रवायती शाही जुलूस निकलेगा, मेला लगेगा. शहर के विभिन्न मोहल्लों से चौथी
मुहर्रम से दसवीं मुहर्रम तक रात-दिन जुलूसों का सिलसिला जारी होगा. शहर में ताजिया बनाने के काम में तेजी आ गई है.