यदि महामहिम मणिपुर की यात्रा करें तो हिंसा रुक जाएगी, आग बुझ जाएगी: पूर्वांचल के गाँधी

‘पूर्वांचल के गांधी’ जिनमें रविंद्र नाथ टैगोर की छवि दिखती है तो वहीं पर्यावरण के प्रति ममता भरे लगाव से भी लबरेज रहते हैं.

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में जिस तरीके की हिंसक घटनाएं आए दिन देखने को मिल रही हैं, उस संबंध में डॉ संपूर्णानंद मल्ल ने माननीय राष्ट्रपति महोदया को

पत्र लिखकर अवगत कराया है कि इस रेसियल हिंसा को कैसे रोका जा सकता है.? उन्होंने लिखा है कि-“मैंने अभी अभी BBC के एक एपिसोड में मणिपुर हिंसा में बच्चे, महिलाओं और वृद्ध माता-पिता को विलाप करते देखा.”

कोई अपने बेटे के लिए, कोई पति के लिए, कोई पुत्र के लिए, यह देखा नहीं जाता. क्या महामहिम एवं महामहिम की 142 करोड़ प्रजा के पास इस हिंसा को रोकने का कोई उपाय नहीं है?

यकीन मानिए हम गांधी को दफन कर चुके हैं. क्या कोई गांधी नहीं जो हिंसा रोक सके? मैं जानता हूं कि यदि महामहिम मणिपुर की यात्रा करें तो हिंसा रुक जाएगी, आग बुझ जाएगी.

महामहिम बिना वक्त गुजारे संयुक्त संजातीय परिषद गठित करें जिसमें नान ट्राईबल एवं ट्राईबल दोनों की जनसंख्या के अनुसार प्रतिनिधित्व हो और तब तक सरकार चलाएं जब तक उनमें आपस में साहचर्य कायम नहीं हो जाता.

सरकार तत्काल बर्खास्त की जाए क्योंकि मणिपुर की वर्तमान समस्या उग्र हिंदुत्व एवं हिंदुत्व की माइथोलॉजी जो वहां भाजपा के सत्ता में आने के बाद काम कर रही है’ के कारण फैली है.

भाजपा की ‘रेशल पॉलिसी’ मेंइती एवं कूकी की आदिम स्वतंत्रता से मेल नहीं खाती है. किसी भी बाहरी, जिसके लिए आदिवासी दिक्कू (डांकू) शब्द का प्रयोग करते हैं,

वहां तब तक प्रवेश वर्जित कर दिया जाए जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती. दिक्कू से मेरा आशय नेताओं से है. “इसे अविलंब रोका जाए हथियार से नहीं शांति से.”

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