हॉकी प्रशिक्षक मोहम्मद इमरान ने कामयाबी की वह कहानी लिख दी जो हर किसी के लिए प्रेरणादायक है

गोरखपुर: हॉकी प्रशिक्षक मोहम्मद इमरान ने अपनी मेहनत तथा तजुर्बे से नन्हें खिलाड़ियों की ऐसी पाठशाला रोपी है जो देश ही नहीं विदेश में जाकर भारत का मान-सम्मान दिन दुनिया रात चौगुनी ढंग से बढ़ा रहे हैं.

जैसा कि हॉकी का खेल एशिया महाद्वीप में सबसे पहले भारत में खेला गया था. भारत ओलंपिक हॉकी में अब तक आठ स्वर्ण पदक जीत चुका है. 

बताते चलें कि भारतीय हॉकी के स्वर्ण काल के नायक ध्यानचंद, अशोक कुमार, धनराज पिल्ले, मोहम्मद शाहिद, अजीत सिंह के नाम को भला कौन नहीं जानता है.

ध्यानचंद को तो हॉकी का जादूगर कहा जाता है. हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल भी कहा जाता है। आज आवश्यकता इस बात है कि हाकी को बढ़ावा देने के लिए स्कूल और कॉलेज में नियमित भागीदारी होनी चाहिए. 

भारतीय हॉकी की गरिमा को बनाए रखने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार हॉकी खेलने वाले विद्यार्थियों के लिए धनकोष, वित्तीय सुविधा और अन्य सुविधाएं भी प्रदान करनी चाहिए.

वर्तमान समय में हमारी केंद्र और राज्य सरकार खेलों को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है जिससे अतीत का स्वर्णकार फिर से वापस लौट सके.

इसी दिशा में गोरखपुर के फर्टिलाइजर कैंपस में हॉकी के गुरु मोहम्मद इमरान बच्चों में छिपी प्रतिभा को तराशने के लिए और उनके हुनर को निखारने के उद्देश्य से विगत 1987 से अनवरत हॉकी का प्रशिक्षण देने का काम कर रहे हैं.

विगत 23 मई से 15 दिवसीय समर कैंप का आयोजन सहायक कोच अश्विन, सचिन एव आमिर के निर्देशन में फर्टिलाइजर कैंपस में हॉकी प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है. 

हॉकी गुरु इमरान ने लगभग 160 राष्ट्रीय खिलाड़ी और 9 अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों को दिया है. इसमें मुख्य रूप से रीता मिश्रा, रजनी चौधरी, जनार्दन गुप्ता,

संजू ओझा ,सुग्रीव यादव, शशि सिंह, अन्दर सिह, अनिता दूबे हैं. इस विषय में हॉकी गुरु ने बताया कि अगर कुछ सरकारी सहायता मिले तो निश्चित रूप से बच्चे अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपना नाम रोशन करेंगे.

पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी रीता मिश्रा ने कहा कि हमारे पास जो भी छात्र/छात्राएं आते हैं बहुत निर्धन परिवारों से हैं. उनके लिए गेंद और हॉकी हम लोग इंतजाम करते हैं.

कुछ बुनियादी समस्याएं आती हैं, जिनको हम दूर कर लेते हैं. कैंपस में बैरिकेटिंग की व्यवस्था नहीं है, जिससे पशु आ जाते हैं

और प्रशिक्षण स्थल पर गड्ढे बन जाते हैं. पानी की भी समस्याएं आती हैं, कुछ सामाजिक संस्थाओं ने पहल तो किया है लेकिन वह कम है.

सहायक कोच आमिर ने तो माननीय मुख्यमंत्री योगी से निवेदन किया है कि इस पौध को जीवित रखने के लिए परामर्श दात्री समिती का निर्माण कराएं ताकि यहां की बुनियादी समस्याएं दूर हो सकें.

डॉ. शशि सिंह ने बताया कि यदि माता-पिता अपने बच्चों को बढ़ावा दें तो निश्चित रूप से हम इन बच्चों को तराश कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग्य बनाने का प्रयास करेंगे.

अभी हर्षराज, शरद शर्मा, साहिल, अनुपम, अमृता, बंटी, आशीष सोनकर, मोहम्मद फैजान, विहान सिंह, आनंद निषाद, ताबिश खान आदि प्रशिक्षण शिविरमें प्रशिक्षण ले रहे हैं.

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