पुरानी पेंशन इमरजेंसी बंदियों और माननीयों की बहार, कर्मचारियों में हाहाकार–रूपेश

  • एक व्यक्ति, एक पेंशन का हो प्रावधान नहीं तो खाली हो जायेगा देश का खजाना–पं० श्यामनारायण शुक्ल

गोरखपुर: ‘राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद’ के पदाधिकारी ने संयुक्त बयान जारी कर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ध्यान ऐसे व्यक्तियों की तरफ

आकृष्ट कराया है जो लोग अरबों–खरबों के संपत्ति के मालिक होने के बाद भी सरकारी खजाने से तीन–तीन, चार–चार पेंशन ले रहे हैं.

जबकि दूसरी तरफ देश की सेवा में 35 से 40 वर्ष खपा देने वाला कर्मचारी आज पेंशन का मोहताज बना हुआ है.

इमरजेंसी में भी बंदियों को मिलती है पेंशन:

कर्मचारी नेताओं ने बताया कि इमरजेंसी के वक्त तत्कालीन सरकार द्वारा तकरीबन 1,40,000 ऐसे लोगों को बंदी बनाया गया था जिनके ऊपर कोई मुकदमे नहीं थे

43,000 सिखों को भी बंदी बनाने के अतिरिक्त तकरीबन 20,000 लोग जो राजनीतिक पृष्ठभूमि के थे उन्हें भी बंदी बनाया गया.

इन सभी को आज सरकार लोकतंत्र सेनानी मानकर ₹25,000 महीना पेंशन देती है. वहीं माननीयों  को मिलती है तीन-तीन, चार-चार पेंशन.

हमारे देश के कई ऐसे माननीय हैं जो विधानसभा, विधान परिषद, राज्यसभा और लोकसभा अर्थात चारों सदनों के सदस्य रहे हैं, उन्हें चार पेंशन मिलती है.

इसी क्रम में जो तीन सदन के सदस्य रहे हैं उन्हें तीन पेंशन मिलती है. इसमें भी जो लोकतंत्र सेनानी रहे हैं उन्हें उसका अलग से भी पेंशन मिलता है.

कर्मचारी नेताओं ने यह मांग किया कि एक व्यक्ति कितने ही बड़े पद पर रहा हो उसके लिए सिर्फ एक पेंशन का प्रावधान होना चाहिए. 

क्योंकि देश के खजाने पर अत्यधिक भार पड़ रहा है. सरकार को चाहिए कि कर्मचारियों को जो उनका मौलिक अधिकार है यानि पुरानी पेंशन उसे दे.

दोहरी व्यवस्था बंद कर वन नेशन वन पेंशन की व्यवस्था लाई जाए:

सभी कर्मचारी नेताओं ने मांग किया कि इस प्रकार की दोहरी व्यवस्था को समाप्त किया जाए और वन नेशन, वन पेंशन की व्यवस्था लागू करे

तो माननीयों सहित कर्मचारियों को भी पेंशन मिलेगी तथा देश के खजाने पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा.

इस अवसर पर अध्यक्ष रूपेश कुमार श्रीवास्तव, महामंत्री मदन मुरारी शुक्ला, उपाध्यक्ष श्याम नारायण शुक्ला, अशोक पांडेय, इजहार अली, बंटी श्रीवास्तव, राजेश सिंह आदि उपस्थित रहे.

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