- 42 बच्चों की हुई दस्तारबंदी-प्रधानाध्यापक
- अरबी और संस्कृत भाषा में काफी हद तक समानता है-मौलाना अब्दुल्लाह सालीम कमर चतुर्वेदी
गोरखपुर: मिली जानकारी के मुताबिक महानगर स्थित मदरसा अरबिया अंसारिया इमदादुल उलूम पिपरापुर गोरखपुर के शताब्दी उत्सव
के अवसर पर आयोजित हुआ तीन दिवसीय इजलास-ए-आम एवं दस्तारबंदी कार्यक्रम का आयोजन पिपरापुर गोरखपुर में हुआ.
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सुप्रसिद्ध मुस्लिम धर्मगुरु एवं वेदों के ज्ञाता मौलाना अब्दुल्लाह सालीम कमर चतुर्वेदी ने संबोधित करते हुए कहा कि
“अरबी और संस्कृत भाषाओं में काफी हद तक समानता दिखाई देती है. साथ ही साथ उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अपने धर्म गुरुओं के साथ-साथ अन्य धर्म के धर्म गुरुओं का भी आदर और सम्मान करना चाहिए.”
उन्होंने जलसे से खिताब करते हुए कहा कि-” यदि सरकार मदरसों के उत्थान के लिए मदरसे का सर्वे करा रही है तो यह सराहना करने योग्य है और अगर इसका कोई और उद्देश है तो वह दुर्भाग्यपूर्ण है.”
उन्होंने बताया कि इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो एक ईश्वरवाद तथा मानवता पर आधारित है. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि
“मदरसे के विद्यार्थियों ने हमेशा आधुनिक समाज में योगदान दिया है. मदरसों के विद्यार्थियों को भी आधुनिक शिक्षा की तरफ अपना ध्यान आकर्षित करना चाहिए.
हम मुसलमान जिसे सुन्नत समझकर करते हैं सिर्फ उसका जवाब ही नहीं बल्कि उसकी अहमियत वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी है जिसकी अहमियत कोरोना काल में समझ आ गई.
मदरसे के प्रधानाचार्य मौलाना वली रहमान कासमी ने बताया कि इस अवसर पर 42 ऐसे विद्यार्थियों को जिन्होंने कुराने पाक जैसे पवित्र पुस्तक को कंठस्थ किया है उन्हें दस्तारबंदी की सनद से नवाजा गया.
इस अवसर पर इं. मिन्नत गोरखपुरी, मोहम्मद फैजान अंसारी, मोहम्मद ओसामा, हाफिज कारी मोहम्मद रिफातुल्ला, हाफिज नौशाद, हाफिज मुफ्ती सबी-उल-हसन, हाफिज मोहम्मद जकी, कारी जुनैद आदि मौजूद रहे.