गोरखपुर: हमारे स्वतंत्रता संघर्ष के ऐतिहासिक पन्नों में 9 अगस्त का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है. इसी तारीख को स्वाधीनता की लड़ाई में क्रूर और निर्दई अंग्रेज़ी सत्ता को
उखाड़ फेकने के लिए हमारे स्वतंत्रता के मतवालों ने अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया था. ब्रिटिश हुकूमत को झुकना पड़ा और अंततः उन्हें अपनी हठधर्मिता त्यागकर हमें अज़ादी देनी ही पड़ी.
ठीक उसी प्रकार मंत्रालय में बैठे हमारे भाग्यविधाताओं की असंवेदनशीलता, लगातार ऑफिस खोलकर सदैव मानक से अत्यधिक कार्य करवाने के लिए विवश करते हुये हम पासपोर्टकर्मियों पर क्रूरता की जा रही है.
पासपोर्टकर्मियों का कहना है कि अब पानी सर से ऊपर जा रहा है. हमने मंत्रालय की अच्छी छवि और आम जनता के लिए लगातार कार्य किया है और करते आ रहे लेकिन मंत्रालय में बैठे
असंवेदनशील व क्रूर अधिकारियों को हमारी समस्याएँ नहीं दिख रही हैं जिसके कारण हमें बाध्य होकर विरोध का शंखनाद करना पड़ा है.
देश के समस्त पासपोर्टकर्मियों को अपने हिस्से की आहुति ज़रूरी है. मंत्रालय अगर हमारी न्यायोचित माँगों को नहीं मानती है तो हम अपने आंदोलन के
स्वरूप को और कठोर बनाने के लिए बाध्य होंगे जिसकी सारी ज़िम्मेदारी मंत्रालय की होगी. ऐसी खबर है कि पसपोर्टकर्मी काला फ़ीता बांधकर अपनी ड्यूटी निभाएंगे
तथा भोजनावकाश पर भोजन नहीं करेंगे बल्कि उस समय मुख्य गेट पर शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन करेंगे. हमें अपने न्यायोचित माँग को लेकर शांतिपूर्ण विरोध करने का संवैधानिक अधिकार है.
अब हम अंग्रेज़ी सत्ता के अधीन कार्य नहीं करते हैं. अपनी कमियों और नाकामियों को छुपाने के लिए प्रताड़ित व निःसहाय को दबाने के प्रशासन की अंग्रेज़ी नीति रही है
और उसी के नक्शे क़दम पर इस मंत्रालय की निष्क्रियता परिलक्षित हो रही है. बता दें कि इन पासपोर्टकर्मियों ने मंत्रालय में बैठे सक्षम अधिकारियों
को सद्बुद्धि देने के लिए ईश्वर से भी प्रार्थना किया है ताकि उनकी समस्याओं का समुचित निदान हो सके. पीड़ित कर्मचारियों ने आजादी की लड़ाई में
प्रयोग किए गए नारों तथा कविता के माध्यम से अपने हौंसलों को बुलंद करते हुए दिखाई दिए. वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो,
सामने पहाड़ हो, सिंह की दहाड़ हो, तुम मग़र रुको नहीं, तुम मग़र झुको नहीं, वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो.
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना क्रूर MEA शासन में है.?