गोरखपुर: खाने पीने की वस्तुओं जैसे आटा, चावल, गेहूं, दाल, तेल, चीनी, दवा पर लगने वाले जीएसटी तथा निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स को लेकर आक्रामक रवैया अपनाते हुए
‘पूर्वांचल गांधी’ डॉ सम्पूर्णानंद मल्ल ने राष्ट्रपति मुर्मू को पत्र लिखकर कहा है कि यदि 7 दिनों के भीतर उपरोक्त वस्तुओं पर टैक्स समाप्त नहीं किया गया तो 15 अगस्त के दिन संसद पर सत्याग्रह करके सरकार के इन आर्बिट्रेरी ऑर्डर्स को तोड़ूंगा.
इन्होंने बताया कि मेरी एक ही तमन्ना है-गरीब, अमीर ‘एक ही विद्यालय में पढ़े, ‘एक ही ट्रेन में यात्रा करें’, एक ही अस्पताल में इलाज कराएं, ‘पूर्णत नि:शुल्क’ उसी तरह जैसे माननीय.
डॉ मल्ल ने कहा कि भारत में बढ़ती बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई, नफरत, हिंसा, बलात्कार, अंधविश्वास, पाखंड ‘के जनक विधायिका एवं कार्यपालिका के सदस्य हैं.
जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर ‘कर’ क्यों मंजूर करूं? ऐसे आदेश तथा ऐसे आदेश जारी करने वाली हुकूमत को मैं क्यों स्वीकार करूं? यदि स्वीकार करूं तो जिंदा कैसे रहूंगा?
15 अगस्त ‘संसद’ पर सत्याग्रह’ कर इसे वैसे ही तोडूंगा जैसे गांधी ने अंग्रेजी नमक कानून तोड़ा था. ‘स्वतंत्रता दिवस झंडारोहण के समय जैसी सुरक्षा पीएम की जाती है वहीं सुरक्षा सत्याग्रह ‘पर की जाए.
मै अपने अनेक पत्र/ ज्ञापनों/ सत्याग्रहों में बार-बार लिखता रहा’, कहता रहा, चिल्लाता रहा कि ‘बेरोजगारी,’ गरीबी’ महंगाई, ‘हिंसा’, अपराध’ का रूप ले चुकी है, व्यवस्था’अंधी’ बहरी गूंगी ‘हो गई है, इस पर विचार क्यों नहीं किया जाता है?
जब लोकतंत्र है तो विचार और विमर्श के बिना यह चल कैसे रहा है? ऐसा लगता है जैसे सत्ता ‘डिक्टेटरशिप’ की तरह काम कर रही हैमेरे सैकड़ों पत्नरों का जवाब नहीं मिला.
समानता की आत्मा से निर्मित संविधान में राष्ट्रपति, मंत्री, विधायक, सांसद सहित तीन दर्जन से अधिक VIP टोल टैक्स नहीं देंते फिर लोगों की गाड़ियों पर टोल टैक्स क्यों?
शिक्षा, चिकित्सा, रेल, संचार “एक समान’ एवं ‘शुल्क रहित’ कीजिए ताकि 5 kg अनाज में जीवन खोजने वाले 80 करोड़ कंगाल’ एवं 22 करोड़ कुपोषित’ जीवन जी सके.
स्वतंत्रता दिवस पर जब प्रधानमंत्री स्वतंत्रता संग्राम के समर स्थल ‘लाल किले’ पर भारत की आजादी और स्वाभिमान का तिरंगा फहरा रहे होंगे तब मैं संसद पर जीवन, स्वतंत्रता’ की रक्षा के लिए सत्याग्रह करूंगा.
राष्ट्रपति भवन मेरे पत्रों का जवाब क्यों नहीं देता? मैं कैसे महसूस करूं कि मैं गणतंत्र का हिस्सा हूं?
‘संसद पर सत्याग्रह’ कार्यक्रम के अंतर्गत पूर्वांचल गाँधी 14 अगस्त को वैशाली/गोरखधाम एक्सप्रेस से दिल्ली जायेंगे. इनके हाथ में तिरंगा, ‘संविधान, कुदाल होगा.
कुदाल इसलिए क्योंकि मैं इसका पैदा अनाज खाता हूं और आपके खाने के लिए भी पैदा करता हूं. ‘बुद्ध महापरिनिर्वाण ‘स्थली’ कुशीनगर’ से लाया गया ‘संबोधि’ पीपल वृक्ष’
मातृ सत्ता ‘महामहिम राष्ट्रपति लगाएंगी’ ताकि सत्य,’अहिंसा,’ शांति’ का संदेश दुनिया को देते रहे. भारत बुद्ध, ‘गांधी का ‘पीस कंट्री’ है.
इनका कहना है कि यदि मेरे ‘सत्याग्रह’ को ‘चालाकी’ एवं ‘बल’ से दबाया गया तब अनशन’ करते हुए प्राण त्याग दूंगा. मेरे पास बात करने के लिए वही आए जो यह बताए कि आटा, चावल, गेहूं, दाल, तेल, चीनी, दवा पर GST समाप्त हो गया है.
निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स समाप्त हो गया या एक टोल लेंन फ्री कर दी गई है. शिक्षा, चिकित्सा, रेल, संचार एक समान’ एवं शुल्क रहित’ कर दिया गया है. बुद्ध एवं गांधी की भूमि पर शराब बंद होनी चाहिए.
पत्र की कॉपी सर्वोच्च न्यायालय, मानवाधिकार आयोग, अध्यक्ष लोकसभा, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री, भूतल परिवहन मंत्री सहित मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश तथा समाचार पत्र के संपादकों को भी भेजा गया है.