‘गंगा’ की गोद में पलने वाले इस महान मुल्क को क्यों लुटा जा रहा है गणमुखिया महोदया?: पूर्वांचल गाँधी

गोरखपुर: संवैधानिक मूल्यों के पक्षधर, इंसानियत के रक्षक, पर्यावरणविद्, सामाजिक सरोकार से जुड़े मुद्दों को मुखरता के साथ उठाने वाले पूर्वांचल गांधी डॉक्टर संपूर्णानंद मल्ल ने गणमुखिया द्रौपदी मुर्मू से पत्र लिखकर पूछा है कि

मेरे सैकड़ों पत्रों, ज्ञापनों, ‘सत्याग्रह’ का कोई उत्तर क्यों नहीं दिया जाता है.? ‘विमर्श एवं ‘जवाबदेहहीन व्यवस्था’ को मैं निरंकुश, ‘तानाशाही’ कहना पसंद करता हूं.

‘पेट’, पथ,’ शिक्षा,’ चिकित्सा,’ रेल’ पर लगाए गए कर एवं कीमतों में की गई वृद्धि तत्काल वापस लीजिए. इन सभी बुनियादी जरुरतों पर कोई चोर, लुटेरी, अनुशासनहीन, अपराधिक व्यवस्था ही कर लगा सकती है.

संसद के प्रति जवाबदेह और संविधान से चलने वाली कोई सरकार ऐसा नहीं कर सकती है. भगत सिंह, गांधी, अंबेडकर, कलाम के इस महान मुल्क में

आटा, चावल, दाल, तेल, चीनी, दूध, दही, दवा पर टैक्स लगाकर लोगों के शरीर से सरकार उसी प्रकार खून चूस रही है जैसे अंग्रेजो ने ‘लैंड रिवेन्यू’ के रूप में किसानों और हिंदुस्तान का खून चूस लिया था.

आज स्वतंत्र भारत में पीएम, वित्त मंत्री, भूतल, परिवहन मंत्री ‘मनमानी’ ढंग से जब चाहे ‘कर’ एवं कीमतों’ में वृद्धि करतें हैँ, यह जानते हुए कि टैक्सेशन’ पार्लियामेंट का विषय है.

विधायिका, कार्यपालिका के विधायक सांसद, मंत्री और उनके बच्चे शिक्षा, चिकित्सा, रेल, जहाज, पानी, बिजली सब कुछ नि:शुल्क लेते हैं.

हम चाहते हैं कि यह सुविधा हमें भी नि:शुल्क मिले और यदि ऐसा संभव नहीं है तो कम से कम शिक्षा, चिकित्सा, रेल एक समान’ एवं ‘शुल्क रहित’ कर दिया जाए क्योंकि संविधान में ‘समानता की गारंटी’ दी गई है.

भारवाही गाड़ियों पर टोल टैक्स तो समझ में आता है परंतु निजी गाड़ियों पर ‘पथकर टोल टैक्स ‘डकैती’ है. कहीं आने-जाने की स्वतंत्रता, अनु 19, का ‘वायलेशन’ है.

मा. राष्ट्रपति प्रधानमंत्री सांसद विधायक सहित तीन दर्जन से अधिक VIP की गाड़ियों पर टोल टैक्स नहीं लगता जबकि लोगों की गाड़ियों पर टोल टैक्स लिया जाता है, यह ‘समानता के मौलिक अधिकार की हत्या’ है.

ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि विधायिका कार्यपालिका में चोर लुटेरे बलात्कारी अपराधी पहुंच चुके हैं यदि उनके पास “रत्ती भर अनुशासन’ होता तो पेट, प्राण, पथ, शिक्षा, चिकित्सा, रेल पर कर न लगते.

यदि ऐसी कर प्रणाली अतीत में होती तो एपीजे अब्दुल कलाम एवं द्रोपति मुर्मू राष्ट्रपति न बनते क्योंकि मछली एवं महुआ से होने वाली ‘रत्ती भर आमदनी’ टैक्स में चली जाती कैसे ‘सरवाइव’ करते?

बताते चलें कि ‘पूर्वांचल गांधी ने पत्र की इस कॉपी को परम सम्माननीय सर्वोच्च न्यायालय, मानवाधिकार आयोग को भी लिखकर सूचना भेजा है. ‘पूर्वांचल गांधी (9415418263)

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