- बुद्धालैण्ड राज्य की मांग को लेकर पूर्वांचल सेना ने 27 जिलों के प्रतिनिधियों के साथ निकाली पदयात्रा
पूर्वी उत्तर प्रदेश के 27 जिलों को अलग बुद्धालैण्ड राज्य बनाए जाने की मांग को लेकर चलाए जा रहे आंदोलन के क्रम में आज नए वर्ष
के शुरुआत के दिन पूर्वांचल सेना ने विशाल पदयात्रा निकाला जो दोपहर 2.00 बजे से नॉर्मल ग्राउंड से आरम्भं होकर बेतियाहाता चौक से शास्त्री चौक,
अंबेडकर चौक, इंदिरा बाल विहार तिराहा से कलेक्ट्रेट चौक होते हुए नगर निगम में स्थित रानी लक्ष्मी बाई पार्क में जाकर सभा में तब्दील हो गई.
सभा को संबोधित करते हुए पूर्वांचल सेना के अध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि- “अंग्रेजी हुकूमत की नियत बड़े-बड़े राज्यों को बनाकर सत्ता का केंद्रीकरण करना था.
इसी क्रम में उन्होंने आगरा और अवध दो अलग प्रांतों को जोड़कर यूनाइटेड प्रोविंसेस (यूपी) बनाया था. लेकिन आजादी के बाद से देश में विकेंद्रीकरण के सिद्धांत
के तहत न्यायिक, शासनिक, प्रशासनिक व्यवस्था एवं सत्ता तक आम आदमी की पहुंच बढ़ाकर संविधान को पूर्णतया लागू कराने के उद्देश्य से देश में
छोटे राज्यों का निर्माण हुआ लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश को पिछड़ा बनाए रखकर लेबर सप्लाई का केंद्र बनाने की साजिश के तहत उत्तर प्रदेश का बंटवारा नहीं किया गया.
आज 24 करोड़ की भारी-भरकम आबादी के साथ प्रदेश के तमाम क्षेत्रों से हाईकोर्ट, लोक सेवा आयोग आदि शासनिक, प्रशासनिक मुख्यालय से दूरी के कारण दुश्वारियाँ बढ़ गई हैं, जनता त्रस्त है.
पूर्वांचल सेना 2006 से आंदोलन कर रही है जिसके परिणाम स्वरूप वर्ष 2011 में तत्कालिक मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश द्वारा
उत्तर प्रदेश को चार भागों में विभाजित कर चार नए राज्य बनाने का प्रस्ताव विधानसभा से पारित किया गया था.
इसके बावजूद भी उत्तर प्रदेश में नए राज्यों का निर्माण नहीं किया गया जो कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के आठ करोड़ जनमानस के साथ-साथ लोकतंत्र की व्यवस्था का अपमान है.
आज उत्तर प्रदेश की आबादी 24 करोड़ है जहाँ एक हाईकोर्ट, एक मुख्यमंत्री, एक लोक सेवा आयोग के भरोसे इतनी बड़ी आबादी का समुचित विकास तथा नेतृत्व और न्याय नहीं किया जा सकता है.
यही कारण है कि उत्तर प्रदेश में शासनिक, प्रशासनिक और न्यायिक व्यवस्था लगातार बोझिल होती जा रही है और विकास के तमाम दावों के बावजूद
यहां की जनता गंभीर बीमारियों के इलाज, बेहतर शिक्षा और रोजी-रोटी की तलाश में अन्य प्रदेशों में जाकर धक्के खाने को मजबूर है.
ऐसे में यह समय की प्रमुख मांग है कि उत्तर प्रदेश में नए राज्यों का निर्माण हो. वहीं पूर्वांचल सेना के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र वाल्मीकि ने कहा कि
“बुद्धा लैंड नाम से राज्य का निर्माण होने के साथ ही यहां की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को सम्मान मिलेगा और
बुद्ध के नाम पर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन उद्योग स्थापित होगा जिससे बड़ी संख्या में नए रोजगार सृजित होंगे.”
बुद्धालैण्ड राज्य की मांग को लेकर जुटे आंदोलनकारियों ने नगर मजिस्ट्रेट गोरखपुर के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा है.
पदयात्रा में मुख्य रूप से अविनाश गुप्ता, करुणेश कुमार, सुनिता निषाद, देवा जयसवाल नसीम अहमद, उदय कुमार, मंजेश कुमार, पवन कुमार, ऋतुराज समेत हजारों की संख्या में लोग मौजूद रहे.