साहस और निर्भीकता की मूर्ति ‘आज़ाद’ के चित्र पर पुष्पांजलि एवम् दीपांजलि अर्पित कर मनाई गई 117वीं जयंती

  • “हमारी लड़ाई आखरी फैसला होने तक जारी रहेगी और वह फैसला है जीत या मौत” चंद्रशेखर आज़ाद

मां भारती के वीर सपूत चंद्रशेखर आज़ाद की शौर्यता युगों-युगों तक अमर रहेगी. उनका साहस और निर्भीकता से किया गया आत्म बलिदान इतिहास के स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है जो राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा युवाओं को देता रहेगा.

आज़ाद थे, आज़ाद हैं और आजाद रहेंगे उनका यह कथन आज हर एक भारतवासियों के लिए बीज मंत्र है. ऐसे विचार भारतीय जनता पार्टी के पूर्व क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी बृजेश राम त्रिपाठी ने व्यक्त किये हैं.

त्रिपाठी जी आज़ाद चौक स्थित उनकी मूर्ति पर 117 दीप प्रज्ज्वलित कर चंद्रशेखर आजाद के 117वीं जन्म जयंती के पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे.

इन्होंने बताया कि बिस्मिल और भगत सिंह सरीखे साथी क्रांतिकारियों तक चंद्रशेखर आज़ाद का संकल्प था कि जीते जी ब्रिटिश सरकार के चंगुल में नहीं आऊंगा, आजाद था, आजाद हूं और आजाद रहूंगा यह कथन अल्फ्रेड पार्क में साबित कर दिया.

संगठन के महामंत्री महेश चंद्र दूबे ने कहा कि चन्द्रशेखर आज़ाद एक उच्च कोटि के कुशल संगठनकर्ता, छोटे-छोटे बच्चों को शिक्षित करने का अध्यापन कार्य, निशानेबाज, वाहन चालक सरीखे बहुआयामी प्रतिभा के स्वामी थे.

उन्होंने क्रांतिकतियों का संगठन एचएसआरए सेना-प्रमुख (कमाण्डर-इन-चीफ) का दायित्व सम्हाला. इस दल के गठन के पश्चात् एक नया लक्ष्य निर्धारित किया गया-

“हमारी लड़ाई आखरी फैसला होने तक जारी रहेगी और वह फैसला है जीत या मौत.” कार्यक्रम का संचालन अजय मिश्रा ने किया तथा आभार ज्ञापन प्रमोद शुक्ला ने किया.

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रमोद शुक्ला, हरिनारायण धर दूबे एडवोकेट, इंद्रजीत सिंह, अजीत शुक्ला, राहुल मिश्रा, चंद्रशेखर पांडेय, विशाल मिश्रा,

प्रदीप त्रिपाठी, अभय त्रिपाठी, सुनील मिश्रा, अभयनंदन शुक्ला जुगुनू, संतोष मणि त्रिपाठी, राकेश श्रीवास्तव, सहित अनेकों लोग उपस्थित थे.

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