गोरखपुर: सीएम सिटी में भ्रष्टाचार के निरंकुश तांडव के विरुद्ध ‘तीसरी आंख मानवाधिकार संगठन’ द्वारा 295 दिनों से
चलाए जा रहे सत्याग्रह संकल्प से भयभीत शासकीय तंत्र द्वारा अपने सामाजिक छवि को बरकरार रखने के उद्देश्य से प्रधान
लेखाकार व मुख्य लेखा परीक्षक की वार्षिक लेखा परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार विगत दशकों में अरबों-खरबों रुपए के किये गए
वित्तीय अनियमितता व आर्थिक अपराध के दोषी अभियंताओं के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही न करके, छोटे भ्रष्ट लोक सेवकों के विरुद्ध
कार्यवाही करके भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस के नारे को क्षद्म रूप से प्रभावशाली बताने का कार्य किया जा रहा है.
इस तरह का कृत्य अरबों-खरबों रुपए के भ्रष्टाचार से जन सामान्य का ध्यान भटकाकर सत्याग्रहियों के प्रभावी प्रयास को विफल करने का षडयंत्र किया जा रहा है.
साथ ही चौथे स्तंभ के कुछ करिंदो की भूमिका संदिग्ध नजर आ रही है क्योंकि कारित भ्रष्टाचार के दोषी अभियंताओं को सार्वजनिक नहीं किया गया है.
शासकीय तंत्र का इस प्रकार के दोयम नीति को अपनाना भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने और भ्रष्ट अभियंताओं को संरक्षण प्रदान करने का प्रतीक है.
इसे संगठन उखाड़ फेंकने के लिए दृढ़ संकल्पित है. आमजन में चर्चा का विषय है कि आखिर 295 दिनों से भ्रष्टाचार के विरुद्ध चलाए जा रहे सत्याग्रह संकल्प पर व्यवस्था के पोषक खामोश व मूकदर्शक क्यों हैं?
अब देखना है कि सत्याग्रह संकल्प के संकल्पधारियों और शासकीय तंत्र के बीच भ्रष्टाचार के विरुद्ध चल रहे संघर्ष का निष्कर्ष परिणाम क्या होगा?
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित संगठन के संस्थापक महासचिव शैलेंद्र कुमार मिश्रा, अनूप शुक्ला, अशोक तिवारी दिवानी बार गोरखपुर, योगेन्द्र कुमार मिश्रा एडवोकेट महामंत्री जिला कलक्ट्रेट बार एसोसिएशन,
वरिष्ठ कार्यकर्ता जियाउद्दीन अन्सारी, जिला मीडिया प्रभारी शशी कांत, गिरजा शंकर नाथ, इत्यादि भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे.