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सरकार द्वारा लोगों के कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं में भ्रष्टाचारियों में इतनी मनबढ़ई है कि इन्होंने शादीशुदा महिला के पति को

कागजों में मार कर विधवा बना दिया तो कई विवाहित महिलाओं को अविवाहित दिखाकर शादी करवा दी. इस भ्रष्टाचार में सामाजिक कार्यकर्ता,

लेखपाल, ग्राम विकास, जिला समाज कल्याण अधिकारियों की भूमिका सामने आई है. मामले को गंभीरता से लेते हुए समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने पूरे प्रदेश में मामले की जांच के आदेश दिए हैं.

बता दें कि कहीं पारिवारिक लाभ योजना में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र लगाकर अनुदान हड़पा जा रहा है तो वहीं गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन

करने वाले परिवार के मुखिया की मृत्यु पर आश्रितों को एकमुश्त ₹30,000 की राशि दिए जाने के नाम पर धांधली की जा रही है.

यदि गोरखपुर की बात करें तो वर्ष 2022 में इस तरह की योजनाओं का लाभ लेने के लिए 1,224 आवेदन किए गए थे जिसमें जांच करने पर 936 आवेदन फर्जी मिले.

इसी प्रकार बहराइच, पीलीभीत, अलीगढ़, सहारनपुर, आगरा, गाजीपुर में भी अनेक तरह की गड़बड़ियां सामने आई थी.

सामूहिक विवाह योजना का मामला हो अथवा बेटियों की शिक्षा तथा उनके विवाह के लिए प्रदान की जाने वाली सहायता राशि, सब में भ्रष्टाचारी सरकार की योजनाओं में पलीता लगा रहे हैं.

फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने तथा जाति व निवास प्रमाण पत्र पर लेखपाल अथवा एसडीएम की स्वीकृति कैसे करा ली जा रही है, यह सोचने का विषय है.

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