आदमी का प्राण निकलता रहे और उसके पास पैसे न हो उसकी गाड़ी बगैर फास्टटैग नहीं निकल सकती है

गोरखपुर: निजी गाड़ियों पर बेतहाशा लगने वाले टोल टैक्स तथा फास्ट टैग न होने की स्थिति में दुगना टोल वसूले जाने को लेकर पूर्वांचल गांधी ने आक्रोश जताते हुए

भूतल तल परिवहन मंत्री को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि-“जब हम रोड पर गाड़ी लेकर जाते हैँ तब हमारा कलेजा कांपने लगता है. सरकारी गुंडे जबरदस्ती टोल टैक्स लेंते हैँ और हमारा सम्मान भी.”

नॉन कमर्शियल व्हीकल पर ‘टोल टैक्स’ एक प्रकार का गुंडा टैक्स है. ऐसी गुंडई तो हमने देखी ही नहीं कि हमारे पास पैसे न हो तो टोल बूथ पर खड़े गुंडे शक्ति का प्रयोग कर हमसे टोल टैक्स ले?

भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, बिस्मिल्ल, अशफाकउल्ला, रोशन सिंह, राजेंद्र लाहिड़ी, चंद्रशेखर आजाद, उधम सिंह ने फांसी का फंदा क्या इसी के लिए पकड़ा था

कि विधायिका, कार्यपालिका में चोर लुटेरे अपराधी पहुंचेंगे और हमें टैक्स के जंजीरों में जकड़ देगे. भगत सिंह का समाजवाद, ‘गांधी का स्वराज’, ‘अंबेडकर का संविधान’ कहां है? किसने घोंट लिया?

निजी गाड़ियों पर ‘टोल टैक्स’ का अर्थ है कहीं ‘आने-जाने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार’ की हत्या. निजी गाड़ियों में 80% ऐसी गाड़ियां हैं जो ‘लोन’ पर बड़ी मुश्किल से खरीदी है.

गाड़ी खरीदते समय ‘एक्साइज ड्यूटी’, वन टाइम रोड टैक्स’ दिया, ₹50 का तेल ₹100 में डलवाया जब सड़क गया तो TT पर खड़े डकैत बलात्त TT लेते हैं. 

प्रारंभ में TT ₹25, ₹35 लगता था, पैसा न होने पर निवेदन करने पर किनारे की लेन से जाने की अनुमति मिल जाती थी परंतु आपने क्या किया?

जिन टोल अड्डों पर रू 25, 35 टोल टैक्स लगता था वहां ₹100 से अधिक TT लिया जाता है. ‘फास्टैग’ किसी चोर के शातिर दिमाग़ की उपज है.

आदमी मरता रहे, प्राण निकलता रहे, उसके पास पैसे न हो तो उसकी गाड़ी बगैर फास्टटैग नहीं निकल सकती. यदि फास्टटैग नहीं है या फास्टटैग में पैसे नहीं है तो टोल टैक्स दो गुने देना पड़ता है.

जिस क्रूर ने यह नियम बनाया है? क्या उसने यह विचार नहीं किया कि जिस वक्त किसी मजबूर के पास पैसे नहीं होंगे वह कैसे यात्रा करेगा?

लगता ही नहीं पढ़े-लिखे अनुशासित सत्ता में है. टोल टैक्स की ऐसी लूटपाट मचाई कि लगता ही नहीं पढ़े लिखे अनुशासित लोग सत्ता में हैँ.

गाड़ी खरीदते समय ‘उत्पाद शुल्क’ ‘वन टाइम रोड टैक्स’ तेल भरवाते समय ₹50 का तेल ₹100 में भरवाया. ‘जब रोड पर गया तो ‘टोल टैक्स डकैत टोल टैक्स वसूलते हैं.

TT हमेशा ‘रिड्यूजिंग रेट’ में लगता है, इसे बढ़ाया नहीं जा सकता. जैसे यदि कहीं टोल टैक्स की वसूली ₹50 चालू हुई तो अगले साल वह 45 हो सकती है, 55 नहीं हो सकती.

आमतौर पर 4 से 5 वर्ष के भीतर सड़क की लागत निकल जाती है. सामान्यतः10 वर्ष में उस रोड पर टोल वसूली बंद कर दी जाती है, महंगाई भत्ते की तरह हर साल टोल टैक्स बढ़ाना पूरी तरह मनमाना है.

एक टोल अड्डे पर हैवी व्हीकल से 500 से 900 रु टोल टैक्स लिया जाना”खुली बेशर्म लूट एवं डकैती है जब इतना टोल टैक्स ले लेंगे तो महंगाई कैसे रुकेगी? कौन रोकेगा?

बेशर्मी तो यह है कि माननीयों ने अपनी गाड़ियों पर एवं लगभग तीन दर्जन VIP गाड़ियों पर टोल टैक्स में छूट कर ली और लोगों की गाड़ियों पर टोल टैक्स लिया, यह तो समानता के मौलिक अधिकार की हत्या है.

समानता के मौलिक अधिकार अनु 14-18 में माननीय या VIP आधार पर टोल टैक्स में छूट का कोई उल्लेख नहीं. प्राइवेट डकैतों को टोल टैक्स अड्डों का टेंडर क्यों?

जमीन हमारी, सड़क निर्माण के लिए पैसे हमने दिए, सड़कें हमने बनाई तो प्राइवेट डकैतों को टोल टैक्स अड्डों का टेंडर क्यों? 142 करोड लोगों की संपत्ति प्राइवेट पूंजीपति को कैसे दे सकते?

प्राइवेट लुटेरों से टोल अड्डे छीन लिए जाँए यदि सम्माननीय सर्वोच्च न्यायालय की देखरेख में टोल टैक्स घोटाले की जांच हुई तो सबसे बड़ा घोटाला टोल टैक्स में पकड़ा जायेगा

क्या करें?

निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स तत्काल समाप्त करें या प्रत्येक टोल पर दोनों तरफ एक एक टोल लेन फ्री करें ताकि पैसे के अभाव में कहीं आने जाने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार से कोई वंचित न जाय.

भारी गाड़ियों पर टोल टैक्स ₹1 प्रति km कर दें ताकि महंगाई मर जाए. टोल अड्डों को प्राइवेट मालिकों के कब्जे से मुक्त कराएं, इन लुटेरों को जेल में डाला जाए.

इन्होंने टोल टैक्स के माध्यम से लोगों को लूटा है दुर्भाग्य है कि सरकार की संरक्षण में यह लूट की गई है. टोल टैक्स की जंजीरें समाप्त करें.

सड़के खूब बनवाई गई परंतु जब हमारे पास पैसा होगा तभी इन सड़कों पर चलेंगे न? कर असहनीय हो गया है इसे समाप्त कर दें.

पत्र की इस कॉपी को राष्ट्रपति, सम्माननीय सर्वोच्च न्यायालय, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, वित्त मंत्री सहित नेता विपक्ष को भी भेजा गया है.

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