हमसे वोट मत मांगिए, हिटलर की तरह ‘एक्सटर्मिनेशन कैंप’ में डाल दीजिए ताकि बटन दबाने वाले हमारे अंगूठे यूं ही समाप्त हो जाएं: पूर्वाञ्चल गांधी

गोरखपुर: पर्यावरणविद, समाजवादी, मनुष्यता के हिमायती, दिल्ली यूनिवर्सिटी से पीएचडी, पूर्वाञ्चल गांधी कहे जाने वाले डॉ संपूर्णानंद मल्ल ने देश के वर्तमान हालत

को देखते हुए अपनी सत्य, अहिंसा की पूरी ताकत से बताया है कि वह झूठ’ हिंसा’ पर टिकी नरेंद्र मोदी की सत्ता का पतन चाहते हैं.

इन्होंने कहा है कि आटा, चावल, गेहूं, दाल, तेल, चीनी, दवा, जीवन है इस पर जीएसटी क्यों?अनाज खाने वाला कोई व्यक्ति इस पर टैक्स लगा सकता है क्या?

क्या 545/243 सांसदों एवं 142 करोड लोगों में किसी ने इस पर टैक्स लगाने की मांग की? यदि नहीं तो प्राण पर कर क्यों? ऐसे ‘क्रूर कर’ का प्रमाण दुनिया के इतिहास में नहीं मिलता है.

शिक्षा, चिकित्सा, रेल, संचार पर टैक्स क्यों? सांसदों, मंत्रियों सहित 38 वीआईपी लोग सड़कों पर बिना टोल टैक्स दिए अपनी गाड़ियां दौड़ा सकते हैं तो आम लोगों की गाड़ियों पर टोल टैक्स क्यों लिया जा रहा है.?

यह सीधे तौर पर संविधान के ‘राइट टू इक्वलिटी’ का वायलेशन है. निजी गाड़ियों पर टोल टैक्स लेने का अर्थ है “कहीं आने-जाने के स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार (19d) की हत्या.

क्या मंत्रालय के किसी विद्वान को यह नहीं मालूम कि टोल टैक्स हमेशा “रिड्यूजिंग’ लगता है और धीरे-धीरे 10 से 15 वर्ष में समाप्त हो जाता है.

न जाने किस बेशर्म लुटेरे ने टोल टैक्स में इंक्रीमेंट सुझाया? क्या वित्त मंत्री ने यह नहीं सुझाया कि नारी बलात्कार, दुर्घटना, सामूहिक मौते, मदिरालयों’ की समानुपाती है.

₹50 का डीजल/पेट्रोल, सीएनजी ₹100 में एवं 400 का सिलेंडर 1200 में बेचने की क्या जरूरत है? एक भरवाही ट्रक से टोल पर 500 से ₹900 टोल टैक्स लेना किसी डकैती या बेशर्म लूट से कम है क्या?

हैवी टोल टैक्स, जीएसटी, डीजल/पेट्रोल की ऊंची कीमतों से महंगाई की आग लगी है. महंगाई अपराध का रूप ले चुकी है.

महंगाई की आग गरीब को जलाती है जबकि धनी/अमीर/माननीय के लिए महंगाई शीतल समीर एवं स्टेटस सिंबल”है.

इस देश में पाँच किलो अनाज में जीवन तलाशते 80 करोड़ कंगाल एवं 22 करोड़ कुपोषित जिनके पास फूटी कौड़ी नहीं है, जीवन की ज़रूरतें कैसे जुटाएंगे?

5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था, ‘विकसित भारत,’ मोदी की गारंटी,’ अमृत भारत,’ वंदे भारत,’ क्लीन इंडिया, इंक्रेडिबल इंडिया,’ एक्सप्रेस वे,’ इंटरनेशनल एयरपोर्ट,’ मंदिर,’ ‘मदिरालय’ वे क्या करेंगे?

क्या आने वाले 100 वर्ष तक उनके बच्चे एक्सप्रेस वे, इंटरनेशनल एयरपोर्ट, वंदे भारत ट्रेन में पैर रख पाएंगे?

आपको याद दिला दें कि पूर्वाञ्चल गांधी ने 100 से अधिक पत्र/ज्ञापन सरकार को भेजने सहित एक दर्जन से अधिक बार सत्याग्रह कर चुके हैं

परंतु निरंकुश’ एवं डिक्टेटर’सरकार विचार तो दूर इनके पत्रों का जवाब तक नहीं दिया है. क्या यही लोकतंत्र है?

किसी पार्टी का नुमाइंदा नहीं होने के बावजूद 2014 के चुनाव में ‘चाय पर चर्चा’ नरेंद्र मोदी कार्यक्रम’ गोरखपुर, संचालित किया था.

Leave a Comment

Translate »
error: Content is protected !!