{Reporting: Saeed Alam Khan}
गोरखपुर: राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की कविता जिसमें उन्होंने लिखा है कि-है कौन विघ्न ऐसा जग में, टिक सके आदमी के मग में? खम ठोक ठेलता है जब नर, पर्वत के जाते पाँव उखड़
जी हाँ, कुछ ऐसा ही मंजर नखास कोतवाली गोरखपुर के परिसर में देखने को मिला जहाँ 1857 की क्रान्ति के क्रांतिवीर शहीद सरदार अली खान की मजार है जो वीरान अवस्था में पड़ी हुई है.
यहां का मंजर इस कदर सोचने पर मजबूर कर देने वाला है कि सरदार अली जो बड़ी रियासत के मालिक थे, अंग्रेजों के विरुद्ध लोहा लेते हुए अपने परिवार की आहुति दे डाली.
आज उनके वंशज मारे-मारे फिर रहे हैं. भारत सरकार उनके वंशजों की परवाह तो छोड़िए खुद उनकी मजार तक को वह पहचान नहीं दिला पाई जो वास्तव में एक शहीद को मिलनी चाहिए थी.
कहने का अर्थ यह है कि ना तो यहां कोई साफ सफाई है और ना ही कोई रखवाला. आए दिन यहां पशु उनकी कब्र पर मल-मूत्र त्याग करते हैं.
कोतवाली परिसर में आने वाले लोग तथा खुद पुलिस कर्मचारी अपनी गाड़ियां कब्रों पर खड़ा कर देते हैं. इस स्थिति को देखकर ‘वॉइस आफ़ पब्लिक’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सेराज अहमद खान ने आवाज उठाई.
इनकी कड़ी मशक्कत के बाद नगर आयुक्त गोरखपुर से उन्हें आश्वासन मिला जिसका परिणाम यह निकला कि आज 15 अगस्त के मौके पर शहीद सरदार अली खान की मजार तक
न केवल लोगों का हुजूम पहुंचा बल्कि पूरा माहौल शहीद सरदार अली खान की जय, क्रांतिवीरों की जय के नारे भी फिजाओं में गूंजे.
गोरखपुर नगर निगम प्रशासन की तारीफ करते हुए ‘वॉइस आफ़ पब्लिक’ के अध्यक्ष ने बताया कि नगर आयुक्त साहब ने हर प्रकार से मदद का आश्वासन दिया है.
अभी यहां पानी की टोटी लगाकर पन्नी का घेराव कर दिया गया है. जल्द ही बजट पास करके चार दिवारी भी चलाई जाएगी. साथ ही शहीद सरदार अली खान की मजार को भी दुरुस्त करके छत डाला जाएगा.
अपनी बात आगे बढ़ाते हुए सेराज अहमद खान ने कहा कि इस मजार के सुंदरीकरण कराने के लिए वह पूरी तरह समर्पित हैं. इन्होंने अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल स्मारक एवं महात्मा गांधी की मूर्ति पर भी श्रद्धांजलि अर्पित किया.
इस मौके पर फैज रानी, जफ़र अहमद, मोहम्मद दिलशाद, मोहम्मद साहब, मोहम्मद नूर, दीपक, विवेक, राजू, सूरज, हंस अस्थान, दुर्गेश, आशिया सिद्दीकी, खुशी आदि कई लोग मौजूद रहे.