यह बहुत ही हैरान कर देने वाला विषय है कि हमारे देश में संविधान ने यहां निवास करने वाले प्रत्येक धार्मिक वर्ग को उसकी स्वतंत्रता का अधिकार दिया है.
किंतु जब स्वयं को साधु, सन्यासी और महात्मा कहने वाला तबका ही खुद इस देश के एक बड़े समुदाय के प्रति नफरती भाषणबाजी करने से बाज नहीं आता है
तो यह सोचकर बड़ा अजीब लगता है कि आखिर इनके प्रति प्रशासनिक मशीनरी गूंगी बनी क्यों बैठी रहती है.?
धर्म संसद की आड़ में नरसंहार का आह्वान चिंताजनक… SC के 76 अधिवक्ताओं ने CJI को लिखा पत्र#SupremeCourtofIndia #dharmasansadhttps://t.co/AOIMQWQico
— Hindustan (@Live_Hindustan) December 27, 2021
आपको बता दें कि 17 से 19 दिसंबर के बीच हरिद्वार में हुई कथित साधु संतों की बैठक में देश के संवैधानिक मूल्यों और सांप्रदायिक सौहार्द के खिलाफ लगातार भाषण दिए गए.
यहां तक कि अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हथियार उठाने तक की भी शपथ ली गई. इस तथ्य को गंभीरता से लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय के 76 वकीलों ने
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना को पत्र लिखा है जिसमें बताया है कि धर्म संसद की आड़ में दिए गए इस भाषण पर संज्ञान लेकर तत्काल कार्यवाही किया जाए.
इस तरह के भाषण न केवल हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा है बल्कि लाखों मुस्लिम नागरिकों के जीवन को भी खतरे के साए में डाल दिए है.
Provocative and communal speeches against Muslims
were made at a three-day closed-door conclave
in Uttarakhand’s Haridwar #hatespeech #IndiaAgainstHindutva #HaridwarHateAssembly
Hindutva,Dharma Sansad,Muslim Genocide ,Call To Violence, Communal Speeches, No Arrests pic.twitter.com/mctjiBk4oC— THE HINDUSTAN GAZETTE (@THGEnglish) December 24, 2021
मुस्लिमों के विरुद्ध नरसंहार और हथियारों की खुले इस्तेमाल के आह्वान पर अखिल वर्तमान सरकार के संरक्षण में पल रहे नुमाइंदे क्या संदेश देना चाहते हैं.?
हिंदू रक्षा सेना के प्रबोध आनंद गिरी जो योगी आदित्यनाथ तथा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के साथ अक्सर फोटो खिंचवाते हुए नजर आते हैं,
उनका बयान और भी शर्मिंदा करने वाला है. एक टीवी चैनल से बात करते हुए गिरी ने कहा है कि मैं पुलिस से नहीं डरता मैं अपने बयान पर कायम हूं.
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए गिरी ने बताया कि म्यांमार की तरह हमारी पुलिस, हमारे राजनेता, हमारी सेना और हर हिंदू को
हथियार उठाना चाहिए तथा जाति विशेष की अधिक सफाई अभियान करना चाहिए कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है.
पत्र के माध्यम से अधिवक्ताओं ने अपील किया है कि “हम देश की न्यायपालिका के प्रमुख के रूप में आप की क्षमता के अनुरूप त्वरित कार्यवाही की उम्मीद करते हुए आप को पत्र लिख रहे हैं.
न्यायपालिका की स्वतंत्रता के साथ-साथ एक बहुत सांस्कृतिक राष्ट्र के कामकाज के लिए मौलिक संवैधानिक मूल्यों के लिए सुप्रीम कोर्ट की प्रतिबद्धता से हम परिचित हैं.”