मंगलवार को सामाजिक कार्यकर्ता रॉबिन वर्मा की जमानत पर लखनऊ अदालत में सुनवाई


BY- THE FIRE TEAM


सामाजिक न्याय के मुद्दों को लेकर सक्रिय रॉबिन वर्मा को लखनऊ पुलिस ने द हिंदू के पत्रकार उमर राशिद के साथ 20 दिसम्बर की शाम को दारुलशफा के पास से उठाया।

अम्बेडकरवादी विचारों के रॉबिन वर्मा नागरिक अधिकारों और मानवाधिकारों के प्रति बहुत मुखर रहे हैं।

आरक्षण का मुद्दा हो या फिर 200 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली उनकी सक्रियता के समय से ही वे आरक्षण विरोधियों के निशाने पर रहे हैं।

मानवाधिकारों के हनन और वंचित वर्ग के अधिकारों पर काम करने वाले शांन्त स्वभाव के इस युवा ने अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम को वर्तमान सरकार द्वारा शिथिल बनाने के प्रयासों के खिलाफ विभिन्न सम्मेलनों और गोष्ठियों के माध्यम से आवाज़ बुलंद की।

रॉबिन वर्मा की इन्हीं सक्रियताओं से बौखलाई शासन और प्रशासन में बैठी दलित–वंचित विरोधी ताकतों ने न केवल उन्हें टारगेट किया बल्कि गिरफ्तारी के बाद थाने में ले जाकर बुरी तरह मारा-पीटा।

रॉबिन वर्मा लखनऊ जेल में बंद हैं जहां उनका समुचित इलाज भी नहीं हो रहा।


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