BY- THE FIRE TEAM
एडवोकेट मोहम्मद शुऐब जानेमाने मानवाधिकार नेता हैं, समाजवाद और गांधीवाद की मिलीजुली धारा का प्रतिनिधि चेहरा हैं।
पांच दशकों से वह लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की रक्षा के तमाम मोर्चों पर सक्रिय रहे हैं और इसके लिए जेल यात्रा भी कर चुके हैं।
वह रिहाई मंच के अध्यक्ष हैं जिसकी शुरूआत कोई 13 बरस पहले आतंकवाद के मामलों में फंसाए गए बेगुनाहों की रिहाई के आंदोलन से हुई थी।
सड़क के साथ अदालतों में भी चली इस लंबी लड़ाई में वह उत्पीड़ितों की मुक्ति के मसीहा बन कर उभरे।
उनकी अगुवाई में रिहाई मंच ने संविधान, सामाजिक न्याय और स्वाभिमान से जुड़े मसलों और सवालों पर हुए उल्लेखनीय हस्तक्षेपों से अपनी जुझारू पहचान बनाई।
एडवोकेट मोहम्मद शुऐब नागरिकता संशोधन क़ानून, एनसीआर और एनपीआर को संविधान विरोधी और विभाजनकारी मानते हैं। इसीलिए जेल में बंद हैं।
उनकी रिहाई के लिए खड़े होना संविधान, लोकतंत्र और वंचित-उत्पीड़ित के पक्ष में खड़े होना है।
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