BY- THE FIRE TEAM
- समाज में आर्थिक रूप से दुर्बल लोगों के लिये नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये 10% आरक्षण का प्रावधान किया गया।
- जनवरी माह में संसद में संविधान के 103वें संशोधन विधेयक को पारित किया गया था।
केंद्र के द्वारा लागू 10% आरक्षण जो समाज में आर्थिक रूप से दुर्बल लोगों को नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिए दिया गया है, उसके खिलाफ 2 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ में बताया गया कि रेलवे 10% आरक्षण वाले केंद्र के फैसले पर पहले ही नौकरियों के लिए विज्ञापन निकाल चुका है।
वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने बताया कि अगर 10% आरक्षण के आधार पर नियुक्ति होती हैं तो इसे बदलना काफी मुश्किल होगा।
हांलाकि, केंद्र को ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने बयान दिया कि संविधान संशोधन पर इस तरह से रोक नही लगाई जा सकती और कोर्ट भी ऐसा करने से दो बार करने से इनकार कर चुका है।
राजीव धवन ने जब 10% आरक्षण से संबंधीत रेलवे के विज्ञापन की बात कही तो पीठ ने कहा, “हम कह सकते हैं कि ये नियुक्तियां इस मामले के नतीजे के दायरे में आयेंगी।”
जनवरी माह में संसद में संविधान के 103वें संशोधन विधेयक को पारित किया गया था, जिसे बाद में राष्ट्रपति ने भी अपनी मंजूरी दे दी थी।
संविधान के इस संशोधन के माध्यम से समाज में आर्थिक रूप से दुर्बल लोगों के लिये नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिये 10% आरक्षण का प्रावधान किया गया।
मौजूदा समय में 50% आरक्षण की सीमा व्यवस्था जो अजा, अजजा और अन्य पिछड़ा वर्ग को मिली है, यह 10% आरक्षण व्यवस्था उससे अलग है।