कर भुगतान में चूक करने वाली कंपनियों और गारंटरों के साथ-साथ दिवाला कार्यवाही चलाने का प्रावधान लाकर सरकार ने बैंकों के पैसे डूबने तथा भ्रष्टाचार को कम करने के लिए बड़ा स्टैंड लिया है.
आपको यहां बताते चलें कि इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरपसी कोड (आईबीसी) में संशोधन के लिए जून 2020 में अध्यादेश लाया गया था जिसमें यह प्रावधान था कि-
“वैश्विक महामारी की वजह से 25 मार्च से 6 महीने तक कोई नया दिवाला कार्यवाही नहीं की जाएगी किंतु 25 मार्च के पहले चूक करने वालों पर यह कार्यवाही चलती रहेगी.”
Lok Sabha passes amendment in Insolvency and Bankruptcy Code for firms under stress due to Covid-19https://t.co/myLPIVegfL pic.twitter.com/YTT4HqZYvY
— Hindustan Times (@htTweets) September 21, 2020
इस विषय में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि कोविड-19 के कारण कंपनियों को संकट से जूझना पड़ रहा है, यही वजह है कि हमने यह विधेयक लाकर धारा 7, 9, 10 को स्थगित करने का निर्णय लिया है.
आईबीसी का मकसद क्या है इसको लेकर कंपनियों में कुछ भ्रम था जिसके संबंध में सफाई देते हुए स्पष्टत: वित्त मंत्री ने बताया कि- इस विधेयक के द्वारा हम कंपनियों को बंद नहीं करना चाहते बल्कि उसे सुचारू रूप में चलाया जा सके इसके लिए प्रयास कर रहे हैं.
यदि आईबीसी की धारा 7, 9 और 10 को आसान शब्दों में बताएं तो इसका सीधा सा अर्थ यह है कि अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए जिन कंपनियों ने भी बैंक से कर्ज लिया है, यदि वे समय पर उसका भुगतान नहीं करती हैं तो उनके विरुद्ध इसी धारा के तहत कार्यवाही किया जाता है.