BY-THE FIRE TEAM
इस समय पाकिस्तान के आर्थिक हालत बड़े खराब चल रहे हैं. यही वजह है कि उसके वित्त मंत्री असद उमर ने घोषणा की है कि इस संकट से उबरने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) से मदद मांगने का मुश्किल फैसला करना पड़ा है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने भी वीडियो संदेश में बेल आउट पैकेज के लिए आईएमएफ़ से बात करने के लिए अनुमति दे दी है.
असद उमर ने अपनी घोषणा में कहा है, “प्रधानमंत्री ने हर किसी से सलाह मशविरा करने के बाद ये फ़ैसला लिया है कि आईएमएफ़ से बातचीत करना चाहिए.”
माना जा रहा है कि आईएमएफ़ की शरण में जाकर पाकिस्तान मौजूदा आर्थिक संकट से निकलने की योजना पर काम कर रहा है.
पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के एक दल ने पाकिस्तान का 27 सितंबर से 4 अक्टूबर तक पाकिस्तान का दौरा भी किया था.
इस दौरे में आईएमएफ़ के प्रतिनिधियों ने पाकिस्तान की मौजूदा आर्थिक हालात का जायज़ा लिया है. असद उमर ने ये भी बताया है कि पाकिस्तान की हर नई सरकार के आईएमएफ़ की शरण में जाने का इतिहास रहा है.
आपको बता दें कि पाकिस्तान 1980 के बाद से नियमित अंतराल पर आईएमएफ़ से मदद लेता रहा है. इससे पहले 12 बार पाकिस्तान इसी तरह से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मदद ले चुका है.
पांच साल पहले 2013 में, पाकिस्तान सरकार ने इन्हीं परिस्थितियों में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 6.6 अरब डॉलर का कर्ज लिया था.
ऐसे में मौजूदा समय में पाकिस्तान आईएमएफ़ से कितना लोन लेगा, इसके बारे में असद उमर ने कुछ भी साफ़ नहीं किया है.
हालांकि पाकिस्तान की आर्थिक विश्लेषकों का अनुमान है कि मौजूदा संकट से बाहर निकलने के लिए पाकिस्तान को 12 अरब डॉलर की रकम चाहिए.
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इसी साल अगस्त में एक इंटरव्यू में कह चुके हैं कि पाकिस्तान को 10 से 12 अरब डॉलर मदद की ज़रूरत है.
क्या है पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति ?
इस समय पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज बढ़कर 95 अरब डॉलर का हो चुका है. 305 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का क़रीब 30 फ़ीसदी कर्जे का है. इस कर्जे की वजह से पाकिस्तान को अपने रोजाना के खर्चे का करीब 30 फ़ीसदी हिस्सा इस लोन के ब्याज चुकाने में खर्च हो रहा है.
पाकिस्तानी के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने 14 सितंबर को अपने नौकरशाहों को संबोधित करते हुए कहा है कि इस लिए गए कर्जे को चुकाने के लिए पाकिस्तान को हर दिन छह अरब पाकिस्तानी रुपये ब्याज़ के तौर पर चुकाने पड़ रहे हैं.
उनके मुताबिक पाकिस्तान इस तरह के मुश्किल में फंस गया है जहां कर्जे को चुकाने के लिए उसे नया कर्जा लेना पड़ रहा है.
पाकिस्तानी मुद्रा में भी गिरावट जारी है, एक अमरीकी डॉलर की तुलना में पाकिस्तानी मुद्रा 128 रुपया से ज्यादा के दर पर पहुंच गई है. पाकिस्तानी रूपये की गिरती सेहत के साथ साथ पेट्रोलियम तेलों के लिए विदेशी बाज़ार पर 80 फ़ीसदी से ज़्यादा की निर्भरता के चलते पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति सुधरने के संकेत नहीं मिल रहे हैं.
समाचार एजेंसी रायर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान स्टेट बैंक ने दिसंबर, 2017 के बाद से अब तक चार बार मुद्रा का अवमूल्यन किया है और इससे पाकिस्तानी रुपये की सेहत 20 फ़ीसदी कमज़ोर हुई है,
इसके बाद भी करीब 305 अरब डॉलर वाली पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था पटरी पर आने में मदद नहीं मिल रही है.
पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार अपने सबसे न्यूनतम स्तर पर है. स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 170000 लाख डॉलर के आसपास है. जो बीते साल इसी महीने में करीब 195837 लाख डॉलर से ज़्यादा था.
इमरान करते रहे हैं आईएमएफ की आलोचना
हतप्रभ करने का विषय है कि पाकिस्तान का आईएमएफ़ से मदद मांगना कोई नई बात नहीं है लेकिन इमरान ख़ान जिस तरह से आईएमएफ़ की मदद का विरोध करते रहे हैं, उसे देखते हुए वे इतनी जल्दी घुटने टेक देंगे इसकी उम्मीद लोगों को नहीं थी.
इमरान अपने संबोधनों में हमेशा ये कहते रहे हैं कि आईएमएफ़ के लोन से देश में ग़रीबी बढ़ती है.
उनके मुताबिक खर्च कम करके और आमदनी बढ़ाकर, देश को आर्थिक विकास के रास्ते पर डाला जाना चाहिए लेकिन मौजूदा संकट के समय में उन्हें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का ही सहारा लेना पड़ा.
(साभार -बीबीसी)