BY–THE FIRE TEAM
2015 में हुए रोहिंग्या मुस्लिम पर अत्याचार ने अब एक नया मोड़ ले लिया है।
अमेरिका ने सोमवार को कहा कि म्यामांर में हत्याओं एवं बलात्कार सहित रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यामांर की सेना की ओर से की गयी हिंसा के सुनियोजित होने के संबंध में उसे साक्ष्य मिले हैं।
म्यामांर पर संयुक्त राष्ट्र में एक बैठक के दौरान रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए अमेरिका के 18.5 करोड़ डॉलर की नयी निधि घोषित करने के फौरन बाद ही विदेश मंत्रालय ने यह रिपोर्ट जारी की।
विदेश मंत्रालय का यह अध्ययन अप्रैल में 1,024 रोहिंग्या वयस्कों के साक्षात्कार पर आधारित है जिन्होंने हिंसा के बाद पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरण ली थी। इस अध्ययन में ऐसे ही वाकयों का जिक्र किया गया है जो मानवाधिकार समूहों की रिपोर्ट से मिलता-जुलता है लेकिन इसमें घटनाओं के विवरण को निष्पक्ष एवं संयमित तरीके से रखा गया है।
रिपोर्ट में रोहिंग्याओं की सामूहिक हत्या का विवरण देने के लिए जातिसंहार या नस्लीय सफाया जैसे शब्द नहीं इस्तेमाल किए गए हैं। रोहिंग्या मुख्य रूप से मुस्लिमों का समूह है जो म्यामां के रखाइन प्रांत में केंद्रित है और वहां के बहुसंख्यक बौद्ध समुदाय उनकी उपेक्षा करते हैं तथा उन्हें नागरिक नहीं माना जाता।
विदेश मंत्रालय के ब्यूरो ऑफ इंटेलिजेंस एंड रिसर्च की इस रिपोर्ट में कहा गया, “सर्वेक्षण से पता चलता है कि उत्तरी रखाइन प्रांत में हुई हालिया हिंसा अत्याधिक, व्यापक एवं बड़े पैमाने पर हुई थी और प्रतीत होती है कि रोहिंग्या आबादी को आतंकित करने और रोहिंग्या निवासियों को बाहर निकालने के मकसद से की गई थी।’’
इसमें कहा गया, “सैन्य कार्रवाई का स्तर एवं लक्ष्य दर्शाता है कि वह सुनियोजित एवं समन्वित थी।”
रिपोर्ट के मुताबिक, “कुछ इलाको में, हिंसा करने वालों ने ऐसी चालें चलीं जिससे कि बड़े पैमाने पर लोग हताहत हो सकें, उदाहरण के लिए लोगों को जलाने के मकसद से घरों में बंद कर दिया गया, भीड़ पर या भागने वाले सैकड़ों रोहिंग्या लोगों से भरी किश्तियों पर गोली चलाने से पहले पूरे गांवों में बाड़ लगा दी गयी।”
रिपोर्ट में कहा गया कि 82 प्रतिशत साक्षात्कारदाताओं ने अपनी आंखों से इन हत्याओं को देखा था जिसमें से 51 प्रतिशत ने यौन हिंसा का प्रत्यक्षदर्शी होने की बात भी स्वीकारी है।
इसके अलावा 88 प्रतिशत मामलों में प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि इन अत्याचारों के पीछे सेना का हाथ था।
बताते चलें कि साल 2015 में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ एक षड्यंत्र के तहत म्यामांर में अत्याचार किया गया जिसके बाद बड़े पैमाने पर यह लोग भारत और बांग्लादेश जैसे देशों की तरफ़ अपनी जान बचाने के लिए भागे।
दरअसल म्यामांर के जिस रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमान रहते हैं वहां पर बौद्ध बहुसंख्यक हैं। और जब साल 2015 में यहां साम्प्रदायिक तनाव बढ़ा तब रोहिंग्या मुसलमानों के पास सिवाय म्यामांर को छोड़ने के कोई चारा नहीं बचा।
बताया यह भी गया कि इस सांप्रदायिक तनाव में म्यामांर सेना ने बौद्ध लोगों का साथ दिया और अल्पसंख्यक रोहिंग्याओं का सरेआम कत्ल किया गया।
अब जबकि अमेरिका ने म्यामांर सेना पर इस घटना को अंजाम देने का आरोप लगाया है तो देखना होगा आगे इन रोहिंग्याओं को कैसे मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा। क्योंकि अभी भी रोहिंग्या ज्यादातर दूसरे देशों में शरण लिए हुए हैं।
(भाषा से इनपुट के साथ)