गांधी के आदर्श सर्वाधिक प्रासंगिक, चिरस्थायी साबित हुए : संयुक्त राष्ट्र महासभा अध्यक्ष

BYTHE FIRE TEAM

संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष मारिया फर्नांडा एस्पिनोसा गार्सेस ने कहा कि महात्मा गांधी की विरासत और उनके विचार ‘‘सबसे अधिक प्रासंगिक तथा चिरस्थायी ’’ साबित हुए हैं। 193 सदस्यीय इस विश्व निकाय के वर्तमान सत्र में शांति और सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और गांधी के आदर्शों का वर्णन करते हुए उन्होंने यह बात कही।

यहां ‘नॉन-वॉयलेंस इन एक्शन’ नाम के समारोह को संबोधित करते हुए गार्सेस ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र को लोगों के करीब लाने के लिए प्रतिबद्ध है। वह विश्व निकाय जो यहां सेवा करने के लिए है, जो किसी को भी पीछे नहीं छोड़ेगा और जो राष्ट्रीय हित की परिभाषा या संकीर्ण सोच से परे है।

अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन द्वारा आयोजित समारोह में उन्होंने कहा, ‘‘ महात्मा गांधी के जन्म का 150वां वर्ष मनाने के लिए आज हम यहां एकत्र हुए हैं। वह शख्स, जिनका नाम और छवि जेहन में आते ही शांति, संयम और सहनशीलता की अवधारणाएं जीवंत हो जाती हैं, वह भी आज हिंसा और अतिवाद के दौर में।’’

गार्सेस ने कहा कि आधुनिक युग के ‘‘अग्रदूत’’ मार्टिन लूथर किंग से लेकर नेल्सन मंडेला तक सब महात्मा गांधी से प्रेरित थे। गांधी के आदर्श ही सबसे प्रासंगिक और स्थायी साबित हुये।

उन्होंने जोर देकर कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष होने के नाते वह शांति और सुरक्षा तथा गांधी के आदर्शों का अनुसरण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

संयुक्त राष्ट्र महासभा ( United Nations General Assembly):

संयुक्त राष्ट्र के छः अंगों में से एक है और यही केवल सर्वांगीण संस्था है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के समस्त सदस्य राष्ट्रों का सम प्रतिनिधित्व है। महासभा संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र के अंतर्गत आनेवाले समस्त विषयों पर तथा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों की कार्यपरिधि में आनेवाले प्रश्नों पर विचार करती है और सदस्य राष्ट्रों एवं सुरक्षा परिषद् से उचित अभिस्ताव कर सकती है।

यह संयुक्त राष्ट्र के पांच मुख्य अंगों में से एक है। इस सभा का हर वर्ष सब सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ सम्मेलन होता है। इन प्रतिनिधियों में से एक को अध्यक्ष चुना जाता है। क्योंकि समान्य सभा वह अकेला मुख्य अंग है जिसमें सब सदस्य देश सम्मिलित होते है, उसके सम्मेलन अधिकतर विवाद के मंच होते है.

pti-bhasha

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