BY-THE FIRE TEAM
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी न्यूयॉर्क ने संयुक्त राष्ट्र की 73वीं सालाना महासभा में कहा- हम मज़बूत और गंभीर बातचीत के ज़रिए तमाम मुद्दों का हल चाहते हैं.
किन्तु संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान और भारत की तय मुलाक़ात तमाम मुद्दों पर बातचीत करने का एक अच्छा मौका था लेकिन अपने नकारात्मक रवैये की वजह से मोदी सरकार ने ये मौका गंवा दिया.
उन्होंने शांति पर राजनीति को प्राथमिकता दी और ऐसे डाक टिकटों को मुद्दा बनाया जो महीनों पहले जारी किए गए थे.
क़ुरैशी ने कहा कि- 70 सालों से ये मसला इंसानियत के ज़मीर पर एक बदनुमा दाग़ है.
भारत को सैन्य कार्रवाई न करने की चेतावनी देते हुए क़ुरैशी ने कहा, “भारत को हमारे सब्र का इम्तिहान नहीं लेना चाहिए.
यदि भारत नियंत्रण रेखा पर किसी भी तरह के हमले की ग़लती करता है या युद्ध के अपने किसी मंसूबों को पूरा करने की कोशिश करता है तो उसे पाकिस्तान की ओर से भरपूर जवाबी कार्रवाई का सामना करना होगा.
अफ़ग़ानिस्तान के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान काफ़ी समय से विदेशी ताक़तों की ग़लतफ़हमियों का निशाना बन रहे हैं.
उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट के बढ़ते प्रभाव पर भी चिंता ज़ाहिर की और कहा कि पाकिस्तान शांति स्थापित करने की कोशिशों में अफ़ग़ानिस्तान का साथ देगा.
उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान अफ़ग़ान शरणार्थियों की अपने देश वापसी भी चाहता है.
आपको बताते चलें कि इससे पहले भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने भाषण में पाकिस्तान पर तीखा निशाना साधा था और कहा था कि पाकिस्तान न सिर्फ़ आतंकवाद को बढ़ावा देता है बल्कि वो इसे नकारता भी है.
उन्होंने कहा, 9/11 का मास्टरमाइंड तो मारा गया, लेकिन 26/11 का मांस्टरमाइंड हाफ़िज सईद पाकिस्तान में चुनाव लड़ रहा है.
भारत ने पाकिस्तान से कई बार बात करने की कोशिश की. 11मैंने ख़ुद इस्लामाबाद जाकर बातचीत की शुरुआत की लेकिन तत्काल ही पठानकोट में हमारे एयरबेस पर हमला कर दिया.”
सुषमा स्वराज ने कहा, ”पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री ने न्यूयॉर्क में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाक़ात की बात कही, लेकिन इसके ठीक बाद उन्होंने हमारे सुरक्षा बलों का सिर कलम कर दिया.”
ध्यान देने वाला पहलू यह है कि दोनों देश एक दूसरे की गलतियों को ही बताते हैं किन्तु कभी भी खुलकर सामने नहीं आते.
यह सही है पाकिस्तान में कुछ अप्रतक्ष्य ताकते हैं जो वहां के शासन को संचालित कर रही हैं और समय समय पर भारत ने इसके सबूत भी पेश किये हैं.
ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि दोनों मुल्क अपनी जिम्मेदारी समझे तथा विश्व में शांति बहाली का प्रयास करें एवं निर्दोष लोगों की हत्याओं को रोका जाये जिससे बेहतर माहौल बने.