BY-THE FIRE TEAM
दुनिया में डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए रूस और भारत अब साथ खड़े दिख रहे हैं. यही वजह है कि ये दोनों देश लगातार कई समझौतों पर हस्ताक्षर करते जा रहे हैं.
रूस और भारत के आर्थिक संबंधों में भरोसा इस क़दर बढ़ रहा है कि रूस से दूसरे सबसे बड़े बैंक वीटीबी के चेयरमैन ने भारत से व्यापार में यहां की मुद्रा रुपया से लेन-देन की घोषणा की है. यानी भारत और रूस रुपये और रूबल में व्यापार करेंगे.
रूस की सरकारी समाचार एजेंसी स्पूतनिक ने वीटीबी बैंक के चेयरमैन एंड्र्यू कोस्टिन का बयान छापा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि रूसी बैंक रुपए और रूबल में व्यापार करने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने कहा कि दोनों देशों को इस तरह की व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे अपनी ही मुद्रा में कारोबार हो सके.
एंड्र्यू ने कहा कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो महज़ दो सालों में अच्छे नतीजे आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि स्थानीय मुद्रा में व्यापार से द्विपक्षीय संबंध और मज़बूत होंगे.
कोस्टिन रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ भारत दौरे पर आए थे. भारत और रूस में 2025 तक वार्षिक व्यापार 10 अरब डॉलर से बढ़ाकर 30 अरब डॉलर करने पर सहमति बनी है.
वित्त मंत्रालय और रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया तेल के आयात में रुपए और तेल के बदले अन्य सामान देने के विकल्प तलाश रहे हैं. भारत रूस, ईरान और वेनेज़ुएला की ओर इसे लेकर देख रहा है.
कहा जा रहा है, भारत वेनेज़ुएला को दवाइयों की आपूर्ति के बदले तेल ले सकता है.
इसके साथ ही वाणिज्य मंत्रालय ने रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया से चीन के साथ भी रुपए और यूआन में कारोबार करने के विकल्प को आज़माने के लिए कहा है.
भारत ऐसा विदेशी मुद्रा डॉलर और यूरो की बढ़ती क़ीमतों और उसकी कमी से निपटने के लिए करना चाहता है.
दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा डॉलर
विगत कुछ दिनों में जिस तरह से रुपया टुटा है वह एक आश्चर्य का विषय बन गया है.एक डॉलर की तुलना में रुपया 75 के क़रीब पहुंच गया है. आपको बता दें कि रुपए का मूल्य कम होता है तो आयात बिल बढ़ जाता है.
और इससे व्यापार घाटा बढ़ता है. भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है और अपनी ज़रूरत का 60 फ़ीसदी तेल मध्य-पूर्व से आयात करता है.
भारत ने 2017-18 में रूस से 1.2 अरब डॉलर का कच्चा तेल और 3.5 अरब डॉलर के हीरे का आयात किया था. रूस भारत से चाय, कॉफ़ी, मिर्च, दवाई, ऑर्गेनिक केमिकल और मशीनरी उपकरण आयात करता है.
दोनों देशों ने 2025 तक द्विपक्षीय कारोबार 30 अरब डॉलर तक करने का फ़ैसला किया है.
2017-18 में दोनों देशों का द्विपक्षीय व्यापार 10.7 अरब डॉलर का था. रूस के साथ भारत का वार्षिक व्यापार घाटा 6.5 अरब डॉलर का है.
अमरीकी मुद्रा डॉलर की पहचान एक वैश्विक मुद्रा की बन गई है. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर और यूरो काफ़ी लोकप्रिय और स्वीकार्य हैं. दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों में जो विदेशी मुद्रा भंडार होता है उसमें 64 फ़ीसदी अमरीकी डॉलर होते हैं.
ऐसे में डॉलर ख़ुद ही एक वैश्विक मुद्रा बन जाता है. डॉलर वैश्विक मुद्रा है यह उसकी मज़बूती और अमरीकी अर्थव्यवस्था की ताक़त का प्रतीक है.
इंटरनेशनल स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइज़ेशन लिस्ट के अनुसार दुनिया भर में कुल 185 करंसी हैं. हालांकि, इनमें से ज़्यादातर मुद्राओं का इस्तेमाल अपने देश के भीतर ही होता है.
कोई भी मुद्रा दुनिया भर में किस हद तक प्रचलित है यह उस देश की अर्थव्यवस्था और ताक़त पर निर्भर करता है.
दुनिया की दूसरी ताक़तवर मुद्रा यूरो है जो दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार में 19.9 फ़ीसदी है.
ज़ाहिर है डॉलर की मज़बूती और उसकी स्वीकार्यता अमरीकी अर्थव्यवस्था की ताक़त को दर्शाती है. कुल डॉलर के 65 फ़ीसदी डॉलर का इस्तेमाल अमरीका के बाहर होता है.
दुनिया भर के 85 फ़ीसदी व्यापार में डॉलर की संलिप्तता है. दुनिया भर के 39 फ़ीसदी क़र्ज़ डॉलर में दिए जाते हैं. इसलिए विदेशी बैंकों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की ज़रूरत होती है.
(साभार-बीबीसी)