विपक्षी सोलिह ने किया मालदीव चुनाव में जीत का दावा

BY-THE FIRE TEAM

भारत का पड़ोसी, एक द्विपीये देश मालदीव इस समय अपने यहाँ राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चा में है.

क्योंकि मालदीव को पर्यटन और रणनीतिक स्थिति के लिहाज से एक अहम देश माना जाता है.इसमे स्थानीय मीडिया के मुताबिक सोलिह को मौजूदा राष्ट्रपति अब्दुला यामीन पर स्पष्ट बढ़त मिलती नज़र आ रही है.

‘मालदीव इनडिपेन्डेट‘ वेबसाइट के अनुसार कुल 472 बैलट बॉक्सों में से 437 बॉक्सों की गिनती हो चुकी है और सोलिह मौजूदा राष्ट्रपति यामीन पर भारी पड़ते नज़र आ रहे हैं.

हालांकि मालदीव के चुनाव आयोग ने स्थानीय मीडिया के इन रिपोर्टों पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है. शुरुआती नतीजों के बाद सोलिह ने राजधानी माली में कहा कि ये ख़ुशी और उम्मीदों का पल है.

इसके साथ ही उन्होंने अपने कटु प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रपति यामीन पर हमला बोला और कहा कि उन्हें लोगों की इच्छा को स्वीकार करना चाहिए.

सोलिह ने दावा किया कि उन्होंने 16 फीसदी वोटों के मार्जिन से यह चुनाव जीत लिया है. स्थानीय मीडिया ने बताया है कि फ़िलहाल 92 फीसदी वोटों की गिनती हो चुकी है.

रविवार को हुए इस मतदान में मालदीव के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और उम्मीद से बेहतर टर्नआउट के बाद वोटिंग का वक़्त तीन घंटे बढ़ाना पड़ा.

कई लोगों ने बताया कि उन्हें वोट डालने के लिए पांच घंटे तक लाइन में लगकर इंतज़ार करना पड़ा. यह चुनाव इतना महत्वपूर्ण है कि एशिया के दो बड़े देश यानी भारत और चीन इस पर क़रीब से नज़र रखे हुए हैं.

इसका मुख्य कारण यह है कि वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को चीन से करीबी सम्बन्धों का समर्थक माना जाता है वहीं मोहम्मद सोहिल को भारत समर्थक नेता के तौर पर देखा जाता है.

चुनावों की निष्पक्षता को लेकर चिंता

वोटों की गिनती से पहले तक अब्दुल्ला यामीन की जीत के कयास लगाए जा रहे थे. यामीन के कई राजनीतिक विरोधी वहां जेलों में बंद हैं. उन पर विरोधियों के दमन और मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं.

चुनाव की पूर्व संध्या पर पुलिस ने विरोधी गठबंधन के चुनाव मुख्यालय पर छापे की कार्रवाई की. इससे पहले यूरोपीय संघ, अमरीका, अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों और विपक्षी दलों ने चुनाव की निष्पक्षता को लेकर चिंता जाहिर की थी.

मालदीव चुनाव
अमरीका और यूरोपीय संघ ने चेतावनी दी थी कि अगर चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से संपन्न नहीं हुए तो मालदीव पर पाबंदियां लगाई जाएंगी.
इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को चुनाव से दूर रखा गया और गिनी-चुनी विदेशी मीडिया को ही कवरेज की इजाज़त दी गई.

चूँकि अब्दुल्ला यामीन के शासन काल में चीन ने मालदीव में बड़ी धनराशि निवेश की है और कई बड़े प्रोजेक्ट्स की शुरुआत भी किया है, अतः चीन का इसमें रूचि लेना स्वाभाविक है.

इसके अलावा दोनों देशों ने मुक्त व्यापार संधि पर भी हस्ताक्षर किए हैं. अब मालदीव में चीनी सैलानी किसी भी दूसरे देश के सैलानियों के मुकाबले ज़्यादा तादाद में जा सकते हैं.

मालदीव चुनाव

वही, दूसरी तरफ़ मालदीव और चीन की बढ़ती नज़दीकियों से भारत चिंतित बताया जाता है.

मालदीव को पर्यटन और रणनीतिक स्थिति के लिहाज से एक अहम देश माना जाता है. मालदीव के चुनाव में भारत और चीन की दिलचस्पी की अहम वजह यही मानी जा रही है.

ऐसे में दोनों देश चाहते हैं कि कोई ऐसा व्यक्ति राष्ट्रपति बने जो अपने देश को तो आगे ले जाये ही किन्तु साथ ही साथ दक्षिण पूर्व एशिया में अंतराष्ट्रीय संतुलन भी कायम रख सके.

(साभार-बीबीसी हिंदी न्यूज़)

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