इस समय देश में कश्मीर फाइल्स फिल्म के रिलीज होने के बाद एक तरह से ऊहापोह और नफरती माहौल है.
हिंदू समाज जहां इस फिल्म को लेकर अपने ऊपर किए गए जुल्म की कहानी बता रहा है वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने की भी कोशिश की जा रही है.
इसी क्रम में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि यह फिल्म सच से बहुत दूर है क्योंकि फिल्म निर्माताओं ने आतंकवाद से पीड़ित मुसलमानों के संघर्ष को नजरअंदाज कर दिया है.
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए एनसी के उपाध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री कहा कि
उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर फाइल्स के तथ्यों को झूठ बताते हुए कहा कि जब कश्मीर में हिंदुओं का नरसंहार और पलायन हुआ, तब उनके अब्बा सीएम नहीं थे।https://t.co/dsAHbZ3aOr
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) March 19, 2022
यदि एक व्यवसायिक फिल्म होती तो किसी को कोई समस्या नहीं थी किंतु दावा करते हैं कि यह वास्तविकता पर आधारित है तो सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है.
उमर अब्दुल्ला ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले के दमाल हाजीपूरा में संवाददाताओं से वार्ता के दौरान बताया कि
जब कश्मीरी पंडितों के पलायन की दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित हुई तो उस समय फारुख अब्दुल्ला मुख्यमंत्री नहीं थे.
बल्कि जगमोहन राज्यपाल थे तथा केंद्र में बीपी सिंह की सरकार थी जिसे भाजपा ने बाहर से समर्थन दिया था.
उमर अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि यदि कश्मीरी पंडित आतंकवाद के शिकार हुए हैं तो हमें इसके लिए बेहद खेद है.
किंतु हमें उन मुस्लिमों और सिख समुदाय के लोगों द्वारा किए गए संघर्ष को भी नहीं भूलना चाहिए जिन्हें उन्हीं बंदूकों से निशाना बनाया गया था.
आज कश्मीर में कुछ लोगों का अभी वापस आना बाकी है, ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है जहां सभी सद्भाव के साथ रह सकें तथा वे लोग भी जिन्होंने डर की वजह से अपना घर-द्वार छोड़ दिया था.