अपनी बयानबाजी की वजह से सदैव मीडिया की सुर्खियां बने रहने वाले नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख तथा जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह ने
‘नागरिक संहिता कानून’ पर बयान देकर फिर से सुर्खियां बटोरने का कार्य किया है. इन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि
“अगर केंद्र सरकार यूसीसी लागू करती है तो उन्हें किसी भी संभावित तूफान के बारे में सोचना चाहिए. केंद्र सरकार को यह कभी नहीं भूलना
चाहिए कि भारत विविधतावादी देश है जहां सभी धर्म के लोग रहते हैं तथा मुस्लिम समुदाय का अपना शरीयत कानून है.”
बता दें कि फारुख अब्दुल्ला ने यह बात नरेंद्र मोदी के द्वारा यूसीसी के लिए कड़ी वकालत करने के बाद कही है.
दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि विपक्षी राजनीतिक दल यूसीसी के मुद्दे का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने तथा उन्हें भड़काने के लिए कर रहा है.
आप मुझे खुद ही बताएं कि घर में एक सदस्य के लिए एक कानून तथा दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून कैसे हो सकता है.?
क्या यह घर चल पाएगा.? तो फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था के साथ देश कैसे संचालित होगा.? अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पीएम मोदी ने यह भी बताया कि
मुझ पर विपक्षी दल दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाते हैं किंतु वास्तविकता यह है कि यह लोग मुस्लिम मुस्लिम का हमेशा जाप करते रहते हैं.
यदि वास्तव में ये मुसलमानों के हित में काम कर रहे होते तो फिर मुस्लिम परिवार शिक्षा और नौकरियों में पीछे नहीं होते, जरूरत है इस पर ठीक ढंग से सोचने और विचार करने की.