BY- THE FIRE TEAM
रोजगार के मामले में केंद्र की मोदी सरकार हमेशा ही विपक्षी पार्टियों के निशाने पर रहती है। 2014 में सत्ता में आने से पहले मोदी ने चुनावी रैलियों में बोला था कि वे हर साल 2 करोड़ रोजगार देंगे। लेकिन सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार इस वादे को पूरा करने में पूरी तरह विफल रही है।
नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में पुरूष कामगारों की संख्या में कमी आयी है। सर्वे में पता चला कि बीते पांच सालों में देश में रोजगार के बेहद ही कम मौके पैदा हुए।
साल 2017-18 में NSSO द्वारा किए गए Periodic Labour Force Survey (PLFS) में खुलासा हुआ है कि साल 1993-94 के बाद 2017-18 में पुरुष कामगारों की संख्या में 28.6 करोड़ की गिरावट आयी है। द इंडियन एक्सप्रेस ने इस रिपोर्ट का रिव्यू किया है। साल 1993-94 में यह संख्या 21.9 करोड़ थी, वहीं साल 2011-12 में यह आंकड़ा 30.4 करोड़ था।
आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने इस रिपोर्ट को जारी करने से रोक लगा दी है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि सरकार की नकारात्मक छवि ना बने।
सरकार के इस फैसले के विरोध में नेशनल स्टेटिकल कमीशन के कार्यवाहक चेयरपर्सन पीसी मोहनन और एक सदस्य जेवी मीनाक्षी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस रिपोर्ट में देश के शहरी और ग्रामीण इलाकों का अलग-अलग डाटा भी दिया गया है।
शहरी इलाकों में बेरोजगारी दर 7.1 प्रतिशत रही, वहीं ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा 5.8 प्रतिशत है। पहचान जाहिर ना करने की शर्त पर एक विशेषज्ञ ने बताया कि अभी इस डाटा का और अध्ययन किया जाना है, लेकिन यह बात तो साफ है कि नौकरियों में कमी के साथ-साथ रोजगार के नए मौके भी बहुत ही कम पैदा हुए हैं।
NSSO के डाटा के अनुसार, साल 2011-12 से लेकर साल 2017-18 के बीच देश के ग्रामीण इलाकों में 4.3 करोड़ नौकरियां कम हुईं। वहीं इस दौरान शहरी इलाकों में 40 लाख नौकरियां कम हुई।
ग्रामीण इलाकों में महिला रोजगार में 68 प्रतिशत की कमी आयी। शहरों में पुरुष कामगारों को रोजगार में 96 प्रतिशत की कमी आयी है। रिपोर्ट के अनुसार, साल 2011-12 से अब तक देश में कुल 4.7 करोड़ रोजगार कम हुए हैं, जो कि सऊदी अरब की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है।
PLFS की रिपोर्ट के अनुसार, तकनीकी शिक्षा पाने वाले कामगारों के प्रतिशत में कमी देखी गई है, जिसका सीधा असर रोजगार पर पड़ा है। साल 2011-12 से लेकर 2017-18 तक रोजगार की वोकेशनल/टेक्नीकल ट्रेनिंग पाने वालों की संख्या में 2.2 प्रतिशत की गिरावट आयी है।