देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के भयावह होने के कारण जिस तरीके से लोगों की मृत्यु हो रही है, उसको देखकर सरकार और व्यवस्था के विरुद्ध अनेक सवाल उठ रहे हैं.
विपक्षी राजनीतिक दलों और सोशल मीडिया पर लोग यही सवाल पूछ रहे हैं कि पिछले वर्ष कोरोनावायरस बीमारी के बाद मोदी सरकार ने उससे लड़ने के लिए क्या ठोस कदम उठाए थे?
मोदी सरकार के कुप्रबंधन का ही नतीजा है कि लोग आज न केवल पीड़ा और भय के साए में जीने को मजबूर हुए हैं बल्कि असमय काल के गाल में भी समाते चले जा रहे हैं.
वो हाथ कांप रहे हैं जो की-बोर्ड पर चल जाए तो नीतिनियंताओं की कुर्सी हिल जाए,वो आवाज भर्रायी है जो उठे तो सत्तानशीं के सीने में नश्तर से कम नहीं।शब्दों के जादूगर @navinjournalist सर ने आज निशब्द कर दिया।मेरे तमाम साथी अंत सुनें,अभी नहीं तो कभी नहीं pic.twitter.com/CoJ9N6JmnJ
— Abhinav Pandey (@Abhinav_Pan) May 1, 2021
असहनीय पीड़ा को बयान करते हुए पत्रकार नवीन कुमार ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें बताया है कि- “यहां कोई प्रधानमंत्री नहीं है, ना ही कोई व्यवस्था है सबको अपने हाल पर छोड़ दिया गया है.
मैंने इसके पहले 40-45 सालों में डॉक्टरों को कभी भी बिलखते हुए नहीं देखा था. ऑक्सीजन के अभाव में खुद डॉक्टरों के सामने मरीजों का तड़प-तड़प कर मरते देखना, उनकी नींद उड़ा रहा है.”
मुझे ऐसा लगता है कि आज से हमारे देश के डॉक्टर्स जिस तरह की मानसिक बीमारियों से लड़ रहे वह बहुत ही पीड़ा दायक है, इस देश को नर्क बना दिया गया है.
हमें इस तरह से बेचारा बना कर छोड़ दिया गया कि हमारी कोई अहमियत ही नहीं है. मुझे नहीं पता कि आने वाले वक्त में मैं रहूंगा या नहीं रहूंगा लेकिन जो भी लोग रहेंगे वह सोचेंगे कि इस दुनिया को और बेहतर होना चाहिए था.
वह लोग जरूर सोचेंगे कि हमारी आने वाली नस्लों के लिए मंदिर और मस्जिद की जगह अच्छे अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की जरूरत है.