नारीवादी लेखिका, महिला आंदोलनों एवं संघर्षों की मुखर आवाज ‘कमला भसीन’ का हुआ निधन

मिली जानकारी के मुताबिक कमला भसीन की पहचान प्रख्यात नारीवादी लेखिका और जनवादी आंदोलनों को मजबूत करने वाली लेखिका के रूप में रही है.

इनका निधन महिला आंदोलनों के लिए एक बड़ा झटका है. ‘जागो री मूवमेंट’ को चलाने के दौरान इन्होंने कहा था कि-

“महिलाओं की पहली लड़ाई पितृसत्तात्मक समाज से बाहर निकालने के लिए है. महिला अधिकारों की वकालत करते हुए कमला ने बताया था कि-

“पुरुष जो भी कार्य करते हैं वह जीविकोपार्जन का जुगाड़ है जबकि पत्नियां जो कर रही हैं वही वास्तविक जीवन है.

आप कुछ समय के लिए नौकरी ना करें तो आपके बच्चों की जिंदगी पर कोई असर नहीं पड़ेगा किंतु आपकी पत्नी एक दिन काम ना करें तो जीवन और मृत्यु पर सवाल खड़ा हो जाता है.

24 अप्रैल, 1946 को जन्मी कमला नारीवादी कार्यकर्ता के अलावा सामाजिक वैज्ञानिक के तौर पर भी अपनी दावेदारी रखती हैं, जिन्होंने महिलाओं के लिए 1970 से काम करना शुरू किया.

जेंडर इक्वलिटी पर बल देने के कारण इन्हें कई महत्वपूर्ण सम्मानों से भी नवाजा जा चुका है. एक बार कमला ने कहा था कि सोच कर देखिए कि

अगर महिलाएं यह कह दें कि या तो हमारे साथ सही से व्यवहार करें नहीं तो हम बच्चा पैदा नहीं करेंगे तो इसका परिणाम क्या होगा?

सेनाएं ठप हो जाएँगी, मानव संसाधन आप कहां से लाएंगे.? इनके निधन पर शोक जताते हुए महिला और मानव अधिकार कार्यकर्त्री कविता श्रीवास्तव ने कहा कि-

कमला भसीन नारीवादी लेखन और आंदोलन की मजबूत आवाज थीं. उनका जाना एक युग का अंत है. उनके निधन से स्त्रीवादी आंदोलनों सहित सभी जन आंदोलनों की अपूरणीय क्षति हुई है.

कमला भसीन से जुड़े हुए महत्वपूर्ण तथ्य:

कमला ने अपनी आवाज को बुलंद ई देने के लिए संगत संस्था के साथ काम किया जो संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी हुई है.

दबी, कुचली, शोषित महिलाओं और आदिवासियों के अधिकारों के लिए इन्होंने सदैव आवाज उठायी. दक्षिण एशिया में चल रहे ONE BILLION RISING आंदोलन में भी इन्होंने हिस्सा लिया.

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