छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की दो दिवसीय बैठक कांकेर में संपन्न

  • फर्जी मुठभेड़, हत्या, गिरफ्तारी और दमन के खिलाफ प्रदर्शन कर नई राज्य सरकार के समक्ष मुद्दे उठाएगा सीबीए

रायपुर: कांकेर में छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की दो दिवसीय बैठक संपन्न हुई जिसमें छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के घटक दलों के

साथ ही बस्तर में आदिवासियों के मुद्दों पर आंदोलन कर रहे विभिन्न जन संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. इनमें रावघाट संघर्ष समिति, युवा प्रकोष्ठ विकास संगठन रावघाट,

कंडी घाट बचाओ समिति, बेचाघाट संघर्ष समिति, बस्तर जन संघर्ष समिति, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ( मजदूर कार्यकर्ता समिति) आदिवासी अधिकार बचाओ मंच,

हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति, जन मुक्ति मोर्चा, माड़ बचाओ मंच, सर्व आदिवासी समाज, नदी चुवा आंदोलन, मांदो माटा जन आंदोलन, जन वन अधिकार मंच, मदारमेटा बचाओ मंच,

मूलवासी बचाओ मंच, अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार मंच, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, केबीकेएस, धुर्वा समाज आदि संगठन प्रमुख हैं.

बैठक में बस्तर से आए आदिवासी प्रतिनिधियों ने बताया कि पूरे बस्तर में माओवादी हिंसा के नाम पर आदिवासियों का दमन चरम पर है.

बस्तर की अकूत खनिज संपदा को लूटने के लिए आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों को दरकिनार कर बड़े पैमाने पर सैन्य कैंपों की स्थापना कर पूरे बस्तर में व्यापक सैन्यीकरण किया जा रहा है. 

भूपेश सरकार के पिछले 5 वर्षो के कार्यकाल में 55 नए कैंप खोले गए हैं. उन्होंने बताया कि अबूझमाड़ में सड़कों और कैंपों की स्थापना करके

आदिवासी संस्कृति को खत्म कर वहां के जंगल, जमीन को लूटने की तैयारी की जा रही है. हाल ही में 20 अक्तूबर को दो माड़िया आदिवासी युवाओं की

गोमे में डीआरजी के द्वारा हत्या कर उन्हें माओवादी बताया गया, जबकि दोनों युवा महिलाओं के साथ बाजार से खरीददारी करके वापिस जा रहे थे.

इसके पूर्व ताड़मेटला में भी दो आदिवासी युवाओं को माओवादी बताकर फर्जी मुठभेड़ में हत्या की गई है. रावघाट सहित सम्पूर्ण बस्तर में पेसा कानून एवं वनाधिकार मान्यता कानून

का उल्लंघन करके खनन परियोजनाओं की स्थापना की जा रही है. विरोध करने पर नेतृत्वकारी साथियों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जा रहा है.

बैठक में बढ़ती सांप्रदायिक घटनाओं पर भी चिंता व्यक्त करते हुए सीबीए ने कहा है कि आरएसएस-भाजपा अपनी तानाशाही-फासीवादी नीतियों को

लागू करने के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में सांप्रदायिक नफरत फैला रही है. आदिवासियों को आदिवासियों से लड़ाने की कोशिश पूरे बस्तर में लगातार जारी है. 

एक ओर राज्य सरकार वन निवासियों को वन अधिकार देने का दावा कर रही है, लेकिन दूसरी तरफ जंगलों पर अपना नियंत्रण भी बढ़ा रही हैं.

वन विभाग द्वारा संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के जरिए कूप कटाई की जा रही है और वह सामुदाय अधारित वनों के स्वामित्व को मान्यता देने से इंकार रहा है.

छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की एक फेक्ट फाइंडिंग टीम अबूझमाड़ जाकर गोमे में मारे गए निर्दोष आदिवासियों के परिजनों से मुलाकात करेगी

था मुठभेड़ की वास्तविकता को आम जनता के सामने उजागर करेगी. बस्तर में आदिवासियों के दमन और संसाधनों की लूट के खिलाफ भी राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित किए जाएंगे. 

नव गठित राज्य सरकार के मुख्यमंत्री से एक प्रतिनिधिमंडल मुलाकात कर बस्तर के आदिवासी मुद्दो और उनकी चिंताओं को उनके समक्ष रखा जाएगा.

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