मिली सूचना के मुताबिक गौरव तिवारी नाम के एक याचिकाकर्ता ने पशुओं के साथ होने वाली क्रूरता से आहत होकर कनाडा से केरल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर किया था, जिस पर केरल उच्च न्यायालय के द्वारा सख्त कार्यवाही की गई है.
आपको बताते चलें कि केरल में किसी अराजक तत्व ने एक गर्भवती हथिनी को बम से भरा हुआ पदार्थ खिला दिया था जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई थी.
इस घटना के बाद दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए जानी-मानी शख्सियतों ने दबाव बनाया था, आज उसी का परिणाम है कि केरल उच्च न्यायालय ने आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) के तहत पशु हत्या को मानव हत्या करार दिया है यानी कि यदि किसी ने पशुओं के साथ निर्ममता दिखाई तो उसके साथ कड़ी कार्यवाही की जाएगी.
केरल उच्च न्यायालय ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों को इस जनहित याचिका पर विचार करने के लिए नोटिस भेजा था जिसका प्रभाव केरल उच्च न्यायालय के निर्णय के संदर्भ में देखा जा सकता है.
इसके अंतर्गत उसने कहा है कि 1. कोई भी कानून जो केरल में किसानों के द्वारा आग, पटाखे, जाल का प्रयोग करके अपनी फसल को बचाने के उद्देश्य से जंगली जानवरों को मारने की अनुमति देता है उसे अब निरस्त समझा जायेगा तथा इसके लिए उचित सजा भी तय होनी चाहिए.
2. सरकार को जंगली जीवन और मानव निवास के बीच सीमांकन करने के साथ-साथ एक जंगली जीवन अभयारण्य भी बनाना चाहिए.
3. स्पेशल विंग केरला पुलिस में जंगली जानवरों की सुरक्षा को पुख्ता करने तथा वन्य जीवों से जुड़े शिकार के आपराधिक मुकदमों को तेजी से ट्रैक करने की कोशिश की जानी चाहिए.