- गोरखपुर जनपद के खजनी ब्लाक अंतर्गत दस ग्राम पंचायतों में हो रहे विकास कार्यों का पत्रकार द्वारा एक ग्राम पंचायत की जमीनी पड़ताल में खुलती मनरेगा की पोल
खजनी: इस समय मनरेगा योजना के पैसे को मिल-बांट कर खाने का माध्यम बना हुआ है जिसमें कहीं से कोई शक नहीं है. मसलन खजनी ब्लाक के ग्राम पंचायत कासिमपुर जिगनी में
बुधवार दिनांक 11 सितंबर को दो परियोजना के चार मस्टर रोल पर 40 मजदूरों की ऑनलाइन हाजिरी लगाई गई जिनमें 23 महिलाओ को मज़दूर तो लगाया गया लेकिन ना कहीं फ़ोटो में दिखी ना ही कहीं जमीन पर काम करते मिली.
बाकी बचे पुरुष मजदूरों में भी बड़ा झोल देखने को मिला है. प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा ऑनरिकॉर्ड बताया गया कि सब मिला कर 10-12 मजदूर से ही कार्य करवाया गया.
अब बात करते हैं बृहस्पतिवार 12 सितंबर कि तो 11 सितंबर की ली गई फ़ोटो 12 को मनरेगा की वेबसाइट पर 40 मजदूरों की हाज़िरी अपलोड की गई.
लेकिन जब मौके की पड़ताल रिपोर्टर द्वारा 11 से 12 बजे के बीच की गई तो ना कोई मजदूर दिखा ना कोई काम होते पाया गया.
रिपोर्टर द्वारा टेलीफोन के माध्यम से ग्राम प्रधान से वार्ता किया गया तो ग्राम प्रधान द्वारा बताया गया कि सुबह 8:30 से शाम 5:00 बजे तक काम करवाया गया जो ख़ुद ही एक जांच का विषय बना हुआ है.
जिम्मेदार क्यों बनें रहते हैं मूकदर्शक?
मनरेगा विभाग में सबसे पहले ग्राम रोजगार सेवक जिम्मेदार हैं जिनका कार्य मजदूरों से कार्य करना व उनकी उपस्थिति को दोनों पालियों में कार्यों की फ़ोटो के साथ मनरेगा की वेबसाइट पर अपलोड करने सहित तकनीकी सहायकों का काम भी निर्धारित करना होता है.
अपने क्षेत्र में विकास कार्यों की मापी करना भी होता है किन्तु ब्लॉक पर बैठे-बैठे कैसे मापी हो जाती हैं किसी ज़िम्मेदार अधिकारी को तो छोड़ ही दीजिए आम आदमी आज तक जान ही नहीं पाया. आखिर तकनीकि सहायक का ब्लॉक में क्या काम होता है.?
अब बात करें सचिवों की तो पूरे कार्यों की निगरानी की जिम्मेदारी सचिवों की होती हैं लेकिन मनरेगा योजना को इन सभी लोगों ने रामभरोसे छोड़ दिया है.
इस विषय में उप श्रमायुक्त सौरभ श्रीवास्तव ने बताया कि खंड विकास अधिकारी से जांच करवा कर मस्टर रोल जीरो किया जायेगा और हाज़िरी अपलोड करने वाले के खिलाफ़ विधिक कार्यवाई की जायेगी.