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  • खिरिया बाग किसान-मजदूर आंदोलन के खिलाफ खबर छापने वाले अखबार अमर उजाला को स्पष्टीकरण देने के लिए कल तक का दिया समय, अगर नहीं दिया तो अमर उजाला की फूकेंगे प्रतियां
  • किसान शांतिमय तथा संवैधानिक आंदोलन को बदनाम नहीं होने देंगे
  • मोदी सरकार किसानों-मजदूरों पर मनगढ़ंत आरोप लगाने के चक्कर में

खिरिया बाग, आजमगढ़: अपनी जमीन के अधिग्रहण को बचाने के लिए किसानों-मजदूरों ने 96वें दिन भी खिरिया बाग में धरना जारी रखा.

इसके साथ ही किसानों के आंदोलन को अर्बन नक्सल से जोड़कर झूठी खबर छापने वाले अखबार अमर उजाला को स्पष्टीकरण देने के लिए कल तक का समय दिया गया है.

अगर स्पष्टीकरण नहीं दिया तो अमर उजाला की प्रतियां भी फूंकी जाएंगी. बता दें कि अमर उजाला में 15 जनवरी को पुष्पेंद्र कुमार त्रिपाठी की बाई लाइन खबर में

झूठा आरोप लगाया गया है कि आज़मगढ़ में हवाई अड्डे के लिए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ चल रहे आंदोलन को अर्बन नक्सल तूल दे रहे हैं तथा

सुरक्षा एजेंसियों के हवाले से कहा गया है कि जमीन अधिग्रहण नियमानुसार स्थानीय लोगों की सहमति से हुआ है, जो पूरा झूठ है.

जबकि सच्चाई यह है कि किसान 96 दिनों से धरने पर बैठे हैं, न एक इंच जमीन दिया है न देंगे. खबर में जो कहा गया है कि लोग दूरी बनाए रखे हैं, उनको जान लेना चाहिए कि

खिरिया बाग आंदोलन में किसान नेता राकेश टिकैत, मेधा पाटकर, जगतार सिंह बाजवा, गुरुनाम सिंह चढूनी, मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय,

अखिल भारतीय किसान सभा के प्रदेश सचिव पूर्व विधायक राजेन्द्र यादव, भारत सिंह, पूर्व विधायक इम्तियाज अहमद, गिरीश शर्मा और विभिन्न संगठनों का समर्थन प्राप्त है.

किसानों-मजदूरों ने अखबार में आंदोनकारियों को अर्बन नक्सल बताने की खबर का विरोध करते कहा कि योगी-मोदी सरकार किसानों-मजदूरों पर मनगढ़ंत आरोप लगाकर आंदोलन को बदनाम करना चाहती है.

अर्बन नक्सली कहकर खिरिया बाग में बैठी माताओं-बहनों, मजदूर-किसानों की आवाज को कुचलना चाहती है. सरकार कितनी भी साजिश कर ले, लोकतांत्रिक-संवैधानिक तरीके से आंदोलन जारी रहेगा.

किसानों-मजदूरों के खिलाफ फैलाए जा रहे झूठ, अफवाह और दुष्प्रचार का मुंहतोड़ जवाब देंगें. मोदी सरकार ने इसी तरह से ऐतिहासिक किसान आंदोलन को भी

बदनाम करने के लिए उन्हें कभी अर्बन नक्सल, खालिस्तानी, आंदोलनजीवी कहकर बदनाम करने की कोशिश की थी और बाद में माफी मांगकर किसान विरोधी काले कानून को वापस लिया.

सरकार और उसकी एजेंसियां चाहे जितना भी झूठा आरोप लगाएं सम्पूर्ण देश के किसान-मजदूर साथ हैं. किसान-मजदूर जमीन-मकान नहीं देंगे

और सरकार को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का मास्टर प्लान रदद् करना होगा. हमारी खेती-किसानी, गांव-जवार का विकल्प एयरपोर्ट विस्तार नहीं हो सकता.

वक्ताओं ने कहा कि प्रशासन छुपे तौर पर लालच देकर गांव वालों को तोड़ने की कोशिश कर रहा है, पर उनकी कोशिश कामयाब नहीं होगी.

संदिग्ध लोग इंटेलिजेंस के नाम पर गांवों में घूम रहे हैं, ऐसे संदिग्धों को गांव में रोक कर कंधरापुर थाने को सूचित किया जाएगा जिससे उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सके.

धरने को हरियाणा-पंजाब किसान आंदोलन से आए राजकुमार भारत से लेकर रामनयन यादव, राजीव यादव, वीरेंद्र यादव, मटरू खलीफा,

गणेश भारती, राधेश्याम राव, स्नेहा, गणेश पाण्डेय, सुनीता शर्मा, पारसनाथ यादव, फूलचंद राम आदि ने संबोधित किया जबकि अध्यक्षता हरिहर राम और संचालन रवींद्र यादव ने किया.

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