खिरिया की बाग (कप्तानगंज) आजमगढ़: ‘जमीन मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा’ के तत्वाधान में 183 वें दिन धरना जारी रहा जबकि 13 अप्रैल को ब्रिटिश औपनिवेशिक गुलामी काल में जलियांवाला बाग नरसंहार कांड की 104 वीं वर्षगांठ है.
वर्षगांठ पर अमर शहीदों की कुर्बानी को याद करते हुए औपनिवेशिक गुलामी के खिलाफ लोकतांत्रिक विरासत को आगे बढ़ाओ, एयरपोर्ट विस्तारीकरण परियोजना को रद्द करो,
एयरपोर्ट का विस्तार बहाना है-जमीन लूट निशाना है, एयरपोर्ट विस्तार का मास्टर प्लान वापस लो, कौन बनाता हिंदुस्तान-भारत का मजदूर किसान,
जमीन हमारी आपकी-नहीं किसी के बाप की, जंग जीतेंगे अबकी बार-ये ऐलान हमारा है आदि नारे गूंजते रहे.
धरना को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जलियांवाला बाग जैसे जघन्य हत्याकाण्ड को अंजाम देने के बाद भी अंग्रेज साम्राज्यवादी अपने उद्देश्य की पूर्ति नहीं कर पाये.
वो जनता की पहलकदमी, जनता के जनांदोलन को दबाना चाहते थे ताकि उनका शासन और लूट चिरस्थायी रहे लेकिन हुआ इसका ठीक विपरीत.
जो ‘नैतिक प्रभाव’ जनरल डायर और अंग्रेज साम्राज्यवादी उत्पन्न करना चाहते थे, वह लाख कोशिशों के बाद भी ऐसा नहीं कर पाये.
क्रांतिकारियों की एक नयी जमात उठ खड़ी हुयी. भगत सिंह जो इस हत्याकाण्ड के वक्त 12 वर्ष के थे, बाद में भारतीय क्रांति के नायक बन गये.
उधम सिंह ने जनरल ओ डायर को इंग्लैण्ड जाकर उसको, उसके पापों की सजा दी. भारत में मजदूर क्रांति को संगठित करने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी ने
मजदूरों-किसानों का राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन में नेतृत्व किया. इसके अतिरिक्त कई क्रांतिकारी संगठन अस्तित्व में आ गये जो क्रांतिकारी तरीके से अंग्रेजों से मुक्ति चाहते थे.
आज के परिस्थिति में कारपोरेट विकास करने की प्रक्रिया का काला और नंगा सच हाल में प्रकाशित हिंडनबर्ग रिपोर्ट में आ चुका है.
देश में तमाम काले कानूनों को थोप कर सवाल उठाने वालों को जेलों में ठूंसा जा रहा है. खिरिया बाग के आंदोलनकारियों पर प्रशासन फर्जी FIR दर्ज कर दिया है.
‘जमीन मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा’ के नेतृत्व में चल रहे आंदोलनकारियों का स्पष्ट मानना है कि हमें यह कारपोरेट विकास का लूटेरी हवाई मॉडल नहीं चाहिए.
जिसमें मजदूर किसान बर्बाद हो रहे हों, उनकी जमीन-मकान, खेती-किसानी, गांव को उजाड़ा जा रहा हो, उनके शिक्षा-स्वास्थ्य को चौपट किया जा रहा हो.
आजमगढ़ एयरपोर्ट का विस्तार के नाम पर जमीन-मकान की लूट-बर्बादी से बचाना जरूरी है. कार्यक्रम की अध्यक्षता रामकुमार यादव व संचालन रामनयन यादव ने किया.
वक्ताओं में कन्हैयालाल यादव, अनिल चतुर्वेदी, सुनीता, अशोक, महेंद्र राय, नकछेद राय, फूलमती, सुशीला, कालिंदी आदि थे.