धर्मांतरण कराने के आरोप में आजमगढ़ के दीदारगंज थाना क्षेत्र के डीह कैथोली से तीन युवकों की गिरफ्तारी की खबर के बाद रिहाई मंच के नेताओं ने गांव का दौरा किया.
इस दौरे में महासचिव राजीव यादव समेत हाई कोर्ट अधिवक्ता संतोष सिंह, अधिवक्ता विनोद यादव, अवधेश यादव, शाहआलम शेरवानी और मुन्ना यादव शामिल थे.
मंच ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन अध्यादेश 2020, दरअसल अनुसूचित जाति/जनजाति विरोधी है हालांकि इसे लव जिहाद के नाम पर मुस्लिम विरोधी हथियार के रुप में प्रचारित किया गया.
गिरफ्तार नीरज कुमार की पत्नी ने रिहाई मंच के प्रतिनिधियों को बताया कि नीरज की गिरफ्तारी दीदारगंज पुलिस द्वारा की गई लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स और एफआईआर के अंतर्विरोध से कई सवाल उपजते हैं.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि गांव के अशोक यादव की सूचना पर धर्मांतरण कराने गए तीन लोगों की गिरफ्तारी की गई.
वहीं दूसरी मीडिया रिपोर्ट्स कहती है कि धर्मांतरण के मामले की जानकारी होने पर प्रांत धर्म जागरण प्रमुख तारकेश्वर जी ने संगठन की जिला इकाई के पदाधिकारियों को इससे अवगत कराया था. इसके बाद दीदारगंज पुलिस को धर्मातंरण कराए जाने का पता चला.
एफआईआर के मुताबिक अशोक कुमार यादव ने बताया कि हिंदुओं को लोभ देकर धर्मांतरण कराने के मकसद से गांव के त्रिभुवन यादव के घर तीन लोग आए. वे खुद भी वहां गए थे,
उन लोगों ने उन्हें क्रिश्चियन धर्म अपनाने व मसीही प्रार्थना करने को भी कहा. उन्होंने ऐसा करने से मना किया तो वे उन्हें गालियां देने लगे. हंगामा मचता देख तीनों भागने लगे लेकिन उनके और पड़ोसियों द्वारा पकड़ लिये गए.
उनके पास से बाइबिल व ईसाई धर्म से संबंधित साहित्य भी बरामद हुए, फिर उन्हें थाना ले जाया गया. धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार तिवरिया खुर्द के निवासी नीरज राजभर की पत्नी श्याम दुलारी कहती हैं कि
हम वहां प्रार्थना को गए थे, अगर समझ में आता तो करते, नहीं आता तो नहीं करते. डीह कथौली गांव में नीरज राजभर की ससुराल है. वह काफी समय से अस्वस्थ चल रहा था.
अपनी सास सावित्री के कहने पर वह बीमारी से छुटकारा पाने के लिए गया था. नीरज की पत्नी श्याम दुलारी 15 दिसंबर को ही अपने मायके डीह कथौली आ गई थीं.
प्रार्थना के कार्यक्रम को कथित धर्मांतरण से जोड़कर विवाद पैदा कर दिया गया। श्याम दुलारी के अनुसार वहां पहुंची पुलिस ने उनकी एक न सुनी और उन्हें लेकर
;इस तरह की प्रार्थना से इलाज किसी न किसी रूप में सभी धर्मों में प्रचलित है. हिंदू धर्म में ओझा और तांत्रिक हैं तो इस्लाम धर्म में मौलवी मौलाना इस तरह का काम करते हैं.
लोग कभी दरगाह और मंदिरों पर जाते हैं तो कभी झाड़फूक करने वालों को बुला लेते हैं. यह कोई नयी बात नहीं और ना ही इसे कभी धर्मांतरण से जोड़कर देखा जाता रहा है.
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि धार्मिक साहित्य के नाम पर धर्मांतरण का आरोप लगाकर गिरफ्तार करना संवैधानिक अधिकारों का खुला उल्लंघन है.
मौलिक अधिकार किसी कानून के नाम पर कम नहीं किए जा सकते, प्रत्येक नागरिक को किसी भी धर्म को मानने और उसके मुताबिक आचरण करने की स्वतंत्रता है.